जनिया में बोले भरत गांधी
बरपेटा, 6 जनवरी ( पू.सं. )। बरपेटा जिले के जनिया कस्बे में वोटर्स पाटी इंटरनेशनल की जनसभा को संबोधित करते हुए पार्टी के नीति निर्देशक भरत गांधी ने कहा कि नागरिकता व्यक्ति की निजता का अधिकार है, जिसको कानूनी मान्यता मिलनी ही चाहिए। इसीलिए नागरिकता तय करने का अधिकार राज्य को नहीं दिया जा सकता। राजनीतिक सुधारों पर दर्जनों के पुस्तकों के लेखक श्री गांधी ने कहा कि दुर्भाग्यवश यूरोपियन विद्वानों ने यह अधिकार 16 वीं शताब्दी में राज्य को दे दिया था। यह गलत परंपरा आज तक चली आ रही है, जिसको जितनी जल्दी रोक दियाजाए, विश्व की शांति और समृद्धि के लिए उतना अच्छा होगा। सभा का आयोजन वीपीआई की बरपेटा जिला समिति ने किया था भरत गांधी ने कहा कि व्यक्ति के प्रेम करने का दायरा व्यक्ति का नितांत निजी मामला है जिसके बारे में राज्य को ज्ञान नहीं हो सकता और प्रेम ही नागरिकता का आधार है। किसी व्यक्ति को धरती के जितने बड़े हिस्से से प्रेम महसूस होता है उसको इतने बड़े हिस्से की नागरिकता केवल आवेदन करके प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। वीपीआई मुखिया भरत गांधी ने कहा कि नागरिकता के संबंध में अपनी गलत सोच का एहसास यूरोप के लोगों को हुआ और उन्होंने नागरिकता के अंधविश्वासों को दफन करके 27 देशों की साझी नागरिकता का सिद्धांत अपनाया। श्री गांधी ने कहा कि यूरोप ने जो गलती 10 साल पहले महसूस कर लिया, लगता है भारत को वह गलती महसूस करने में अभी 10 साल और लगेंगे। श्री गांधी ने कहा कि नागरिकता के बारे में गलत समझ के कारण ही एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक की आग में असम प्रदेश को जलना पड़ रहा है। उन्होंने लोगों को वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल से जुड़ने की अपील की और कहा कि यही पार्टी देश और दुनिया में शांति और समृद्धि ला सकती है। सभा को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ललित पेगू, तरनी बसुमतारी, जिला अध्यक्ष शिबेन दास, रमजान अली, हामिद अली व अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।