रंगिया , 23 अगस्त, ( वि.सं. ) । देश में निर्मित वस्तुओं का निर्यात बढ़ाने के लिए आवश्यक है सस्ती और उच्च क्वालिटी की वस्तुओं का उत्पादन । उच्च क्वालिटी की वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए अधिक से अधिक मशीनों से उत्पादन किया जाता है । इसके कारण बढ़ती हुई बेरोजगारी और उनकी लागत कम करने के लिए सस्ते मजदूर लगाए जाते हैं । उन मजदूरों से निम्नतम मजदूरी पर काम कराया जाता है । ऐसे में अगर निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की लागत कम रखनी है तो गरीबी बनाए रखने के लिए सरकार मजबूर होती है । क्योंकि गरीब व्यक्ति ही निम्नतम मजदूरी यानी मजबूरी के रेट पर कार्य कर सकता है । ये बातें आज हरदत्त – बीरदत्त भवन , रंगिया में भरत गांधी ने वीपीआई की दो दिवसीय ट्रेनिंग कार्यक्रम में पहले दिन कही । उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियां नहीं चाहती कि विश्व से गरीबी दूर हो , क्योंकि फिर उनको अपनी फैक्ट्रियों के लिए सस्ते मजदूर नहीं मिलेंगे और निर्मित वस्तुओं की लागत बढ़ जाएगी । इसलिए खरबपति अपने चंदे की ताकत से बड़ी राजनीतिक पार्टियों और सरकार द्वारा कृत्रिम गरीबी बनाए हुए है । | गांधी ने कहा कि यह लोकतंत्र केवल उच्च वर्गीय और उच्च मध्यम वर्गीय लोगों को ही रास आ रहा है । गरीबों और वंचितों के लिए यह लोकतंत्र किसी काम का नहीं । जिस दिन जीडीपी में मशीनों की कमाई , प्राकृतिक संसाधनों की कमाई और प्रशानिक हिस्सेदारी को सभी वोटरों में बांटने का वोटरशिप कानून बनेगा, उस दिन सही मायने में सच्चा लोकतंत्र स्थापित होगा । और यह व्यवस्था सिर्फ भारत में ही नहीं विश्व में लागू करने से ही खरबपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ब्लैकमेलिंग खत्म होगी । इसलिए विश्व सरकार का गठन जरूरी है जिससे देशों की सीमाएं समाप्त हो जाएं और आयात निर्यात के जाल से लोगों को बचाया जा सके ।