कौम की फिक्र कर नादां। मुसीबत आने वाली है।
तेरी बर्बादियों के मशविरे हैं आसमानों में ।।
न जागेगा तो लुट जाएगा, ऐ यदुकुल वंशियों ।
तेरी दास्तां तक न मिलेगी, कभी दास्तानों में ।।
जो बात राजनीतिक स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान हिंदुस्तान के बारे में कही जाती थी। आज वही बात यदुवंशियों पर हू-बहू लागू हो रही है। यह समाज सत्ता से कोसों दूर हो गया है। कारण है- आपसी विघटन, समाज का सक्षम व निडर नेतृत्व और लोकतांत्रिक ढ़ाचे वाली किसी राजनीतिक पार्टी का अभाव। इस समाज को सत्ता तक पहुंचाने की बात बहुत दूर की है। अब तो इस समाज की पहचान, स्वाभिमान, मान और मर्यादा पर आये दिन हमले हो रहे हैं। सुरक्षा देने वाला कोई नही दिख रहा है। ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन (YPM)’’ का गठन ऐसी ही परिस्थित में करना पड़ा।
सब जानते हैं कि केवल एक जाति के भरोसे कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकती। पिछड़े वर्ग की तमाम जातियों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोग धर्मांध व धनवानवादी ताकतों से दुखी रहते हैं। किन्तु चुनावों में इन्हीं शत्रु ताकतों का साथ देकर चुनाव जिता देते हैं। क्योंकि अपने पिछले अनुभवों के कारण ये लोग समाजवादी पार्टी को सत्ता में आने से हर बार रोकना चाहते हैं। इसलिये सपा अपने नये नेतृत्व में लगातार चार चुनाव हार चुकी है। रामपुर और आजमगढ़ की हार तो खतरे की घंटी है। अब यह तय हो चुका है कि यदि यह पार्टी अपना ढ़ाचागत सुधार नहीं करती तो ओबीसी की अधिकांश जातियों के लोग, एससी व एसटी के लोग इस पार्टी का साथ आगे भी नहीं देंगे। यदि इन जातियों के लोग साथ नहीं देगे, तो मुस्लिम भी साथ खड़े नहीं होंगे। इसके अलावा परिवारवाद, अपराधवाद, धनवानवाद, पूंजीवाद, सवर्णवाद, सुप्रीमोवाद का कलंक और धर्मांध ताकतों के साथ नूराकुश्ती लड़ने का कलंक धोने के लिये भी इस पार्टी को ढ़ाचागत सुधार करना ही पड़ेगा। तभी यह पार्टी यदुकुल समाज को सत्ता व सम्पत्ति में भागीदारी दिला सकती है, अन्यथा नहीं। जो लोग टिकट की पंक्ति में लगे हैं वह अपनी पार्टी के मुखिया के सामने पार्टी में ढ़ाचागत सुधार की मांग नहीं कर सकते. नाव डूब रही हो तो ये मांग नहीं कर सकते कि नाव का छिद्र बंद किया जाये. बोलने पर टिकट कट जाता है. इसलिए यह आवाज़ उठाना यदुकुल पुनर्जागरण मिशन द्वारा ही संभव है. दूसरी तरफ समाज के लोग भाजपा जैसी अन्य पार्टियों में भी घुटन महसूस करते हैं किन्तु मुंह नहीं खोल पाते. अपने मन की बात बोल दें तो ऐसे लोगों का नाम काली सूची में डाल दिया जाता है. टिकट और प्रोन्नति पाने के अयोग्य मान लिया जाता है. इससे समाज को सत्ता और संपत्ति में हिस्सेदारी दिलाने का मिशन लहू लुहान हो जाता है. इसलिए हिस्सेदारी देने के लिए दबाव डालने का काम यदुकुल पुनर्जागरण मिशन ही कर सकता है.
सत्ता और संपत्ति में हिस्सेदारी पाने के लिए यदुकुल समाज को भी अपनी परम्परागत सोंच में सुधार करना होगा। ओबीसी, एससी व एसटी की तमाम जातियों के लोगों के साथ अपने सगे भाई की तरह बर्ताव करना होगा। यदुकुल और रघुकुल के द्वंद्वात्मक इतिहास को समझना होगा. केवल इतिहास में गोते लगाने की बजाय भविष्य को सुनहरा बनाने की रणनीति पर भी काम करना होगा. श्री कृष्ण के उपदेशों को आत्मसात करना होगा. प्राप्त आरक्षण की रखवाली करना होगा. किन्तु केवल आरक्षण के सलाद से संतुष्ट हो जाने की बजाय भोजन भी पाने के लिए संघर्ष भी करना होगा. क्षेत्रीय राजनीति के साथ साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में और उद्योग व्यापर में अपना दबदबा कायम करना होगा. पाखण्डवाद, फिजूलखर्ची, अंधभक्ति, धाार्मिक-राजनीतिक अन्धविश्वास और सामाजिक-आर्थिक मनुवाद और सामंतवाद को छोड़ना होगा। टिकट पाने के स्वार्थ में नेता लोग अपनी-अपनी पार्टी के ‘सुप्रीमो’ के सामने अपना नम्बर बढ़ाने में, अपने-अपने समाज को ‘सुप्रीमो’ का अंधभक्त बनाने में और लोगों को गुमराह करने में लगे रहते हैं। समाज को इन नेताओं से सावधान रहना होगा। यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के प्रशिक्षण लेना होगा. प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करके यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का काम करने लिए हजार या दो हज़ार नहीं, लाखों स्वतंत्रता सेनानी पैदा करना होगा. जो निजी राजनीतिक और आर्थिक स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज के सभी लोगों के हितों के लिए काम करें.
1- अनेक घटकों में विघटित यदुकुल समाज की एकजुटता कायम करना।
2- जातिवाद, वर्ण व्यवस्था और सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक अंधविश्वासों का उन्मूलन करना।
3- जातीय जनगणना कराना।
4- अहीर रेजिमेंट बनवाना।
5- पब्लिक के शेयर से चलने वाली सभी पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों में आरक्षण दिलाना।
6- सबको सरकारी नौकरी दिलाना या सबको रू- 8000 हर महीना दिलाने के लिये ‘वोटरशिप अधिकार कानून’ बनवाना। जिससे मशीनों के परिश्रम और प्राकृतिक साधनों से पैदा हो रहे हर महीने खरबों रूपए में पिछड़ों और दलितों को भी हिस्सेदारी मिल सके। यह कानून बनाते ही पांच आदमी के परिवार में 40,000 रूपया हर महीना पंहुचने लगेगा। यह अधिकार संसद की कमेटी द्वारा सन् 2011 में ही मंजूर हो चुका है।
7- कारपोरेट टैक्स वापस लगवाना और सम्पत्ति कर को भ्रष्टाचार से मुक्त करवाना।
8- यूरोपियन यूनियन के तर्ज पर दक्षिण एशियाई देशों का यूनियन बनाने के लिये एक मंत्रलय बनवाना।
9- न्युनतम समर्थन मूल्य MSP कानून बनवाकर किसानों की आमदनी बढ़ाना।
10- ईवीएम की बजाय बैलट पेपर से चुनाव करवाना।
11- अग्निवीर योजना रद्द करवाके सेना में पहले जैसी नियमित भर्ती करवाना और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
12- सबसे ज्यादा टर्नओवर वाली दो कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करवाना।
Ex Cabinet Minister Sh. Shivpal Singh.Yadav, the Patron of YPM speaking in the first conference of YPM held in Etah, U.P. on 19th Sept, 2022
Ex Cabinet Minister and Ex MP, Sh. D.P.Yadav, the President of YPM speaking in the first conference of YPM held in Etah, U.P. on 19th Sept, 2022
Sh. Vishwatma, the convener of YPM speaking in the first conference of YPM held in Etah, U.P. on 19th Sept, 2022
श्री शिवपाल सिंह यादव, पूर्व मंत्री (संरक्षक)
श्री डी पी यादव, पूर्व मंत्री व सांसद संभल , (अखिल भारतीय कमेटी के अध्यक्ष),
श्री विश्वात्मा, जाने -माने राजनीतिक चिंतक, लेखक और वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के नीति निर्देशक ( अखिल भारतीय कमेटी के संयोजक)
श्री श्याम किशोर यादव, पूर्व विधायक, सरोजनीनगर, लखनऊ (प्रदेश अध्यक्ष - जातीय जनगणना प्रकोष्ठ)
श्री रामपाल यादव, पूर्व विधायक बिसवां, सीतापुर, (अखिल भारतीय कमेटी कोषाध्यक्ष)
श्री राम कुमार यादव, पूर्व जिला प्रचायत अध्यक्ष- उन्नाव (प्रदेश अध्यक्ष- वोटरशिप अधिकार प्रकोष्ठ)
श्री ओम प्रकाश यादव, पूर्व मंत्री , लखनऊ (संस्थापक सदस्य)
श्री हरिओम यादव, पूर्व विधायक शिकोहाबाद (प्रदेश अध्यक्ष- संस्कृति रक्षक मोर्चा)
श्री विजय बहादुर यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लखनऊ (संस्थापक सदस्य)
श्री नरेंद्र सिंह यादव, पूर्व विधायक फर्रूखाबाद ( प्रदेश अध्यक्ष - समन्वय प्रकोष्ठ)
श्री शिशुपाल सिंह यादव, पूर्व विधायक , एटा (प्रदेश अध्यक्ष -दक्षिण एशिया यूनियन प्रकोष्ठ)
श्री राजेश यादव, पूर्व मंत्री (संयोजक - अखिल भारतीय कमेटी, दक्षिण एशियाई यूनियन प्रकोष्ठ)
श्री विजय सिंह यादव, पूर्व विधायक ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद (प्रदेश अध्यक्ष- एमएसपी प्रकोष्ठ)
श्री शिव प्रसाद यादव, पूर्व विधायक (प्रदेश अध्यक्ष- युवा मोर्चा)
श्री रमेश कुमार यादव, अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, (प्रदेश महासचिव- मानवाधिकार प्रकोष्ठ)
एड. रामनिवास यादव, (प्रदेश महासचिव- मानवाधिकार प्रकोष्ठ)
श्री शिवाकांत गोरखपुरी, (प्रदेश महासचिव)
श्री सुभाष यादव, (प्रदेश सचिव )
श्री उमेश सिंह यादव गोरखपुर (सदस्य)
श्री किला चंद्र यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता- मुंबई हाई कोर्ट ( प्रदेश अध्यक्ष- महाराष्ट्र)
श्री जगपति यादव, पूर्व सहायक आय कर आयुक्त (अध्यक्ष- मुंबई महानगर)
श्री अशोक यादव, जिलाध्यक्ष प्रयागराज (इलाहबाद) उत्तर प्रदेश