constitution

यदुकुल पुनर्जागरण मिशन

नियमावली

विषयसूची

अनुच्छेद विषय वस्तु
1 परिभाषाएँ
2 संगठन का नाम और पंजीकृत कार्यालय
3 वैश्विक परिवर्तन मिशन के साथ ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का संबंध
4 संगठन के अंग और उनका गठन
5 कार्य क्षेत्र, इकाइयों के स्तर, प्रकोष्ठ और मोर्चे
6 संगठन के उद्देश्य
7 सदस्यता
8 संगठन की साधारण सभायें और कार्य समितियां
9 न्यायिक परिषदें, वित्त प्रबंधन परिषदें और सचिवालय
10 संस्थापक सदस्यों की शक्ति
11 ब्यूरो के सदस्यों के कर्तव्य
12 बोर्ड सदस्यों के कर्तव्य
13 विविध प्रावधान
14 बैंकिंग खाता
15 कोष
16 लेखा और लेखा परीक्षा
17 नियम और विनियम बनाने और संगठन के नियमों में संशोधन करने के लिए दिशानिर्देश
18 बैठकों संबंधी नियम
19 आय व्यय का लेखा जोखा और बैंक खाते
20 दस्तावेजों की अभिरक्षा
21 दान प्राप्त करने संबंधी नियम
22 समितियों की नियुक्ति करने की शक्ति
23 कर्मचारी की नियुक्ति करने की शक्ति
24 संस्थापक सदस्यों की देयताएं
25 संस्थापक सदस्यों की प्रतिपूर्ति
26 एकीकरण
27 विघटन

यदुकुल पुनर्जागरण मिशन, वाईपीएम

(पंजीकृत सार्वजनिक कल्याणकारी ट्रस्ट ‘मिशन फॉर ग्लोबल चेंज’ (एमजीसी) की एक इकाई)

नियमावली

यह ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ की नियमावली हैं। इस संगठन को संक्षेप में ल्च्ड वाइपीएम कहा जायेगा। यह संगठन भारतीय ट्रस्ट अधिनियम में पंजीकृत पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ‘‘मिशन फॉर ग्लोबल चेंज’’ या ‘‘वैश्विक परिवर्तन मिशन’’, (एमजीसी) की एक इकाई के रूप में कार्य करेगा। वैश्विक परिवर्तन मिशन की वेइसाइट- www.mgc.world के माध्यम से इस पंजीकृत पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट को जाना समझा जा सकता है। इस संगठन की स्थापना 19 जून 2022 को नैमिशारण्य में की गई। इस संगठन के संस्थापक पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद संभल श्री डी पी यादव, निवायी- 1/38 विपुल खंड, गोमतीनगर, लखनऊ, पिन-226010 हैं। संगठन के संस्थापक ने निम्नलिखित लोगों को संस्थापक सदस्य के रूप में नामित किया है-

1. श्री विश्वात्मा, लेखक, राजनीतिक चिंतक और वोटर्स पार्टी के नीति निर्देशक
2. श्री श्याम किशोर यादव, पूर्व विधायक, सरोजनीनगर (लखनऊ)
3. श्री रामपाल यादव, पूर्व विधायक, बिसवां (सीतापुर)
4. श्री राम कुमार यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष, उन्नाव
5. श्री ओम प्रकाश यादव, पूर्व मंत्री, लखनऊ

1. परिभाषाएँ-
1. यदुकुल समुदाय-यानी उन लोगों का समुदाय जिनके नाम के साथ या जिनके पिता या दादा के नाम के साथ यादव, या जाधव पाया जाता हो यानी यादव समाज या यदुकुल समाज।
2. ब्यूरो- यानी संगठन के कामों के लिये समर्पित नियमानुसार मान्य संगठन के स्वयं सेवक सदस्य।
3. बोर्ड- यानी संगठन के कामों के लिये वित्तीय प्रबंध करने वाले नियमानुसार मान्य संगठन के सदस्य।
4. ‘‘वंचित समाज पुनर्जागरण मिशन’’ या ‘‘क्मचतपअमक त्मदंेेंदबम डपेेपवदए क्त्डश् एक ऐसा संगठन है जो गरीबों, मध्यम वर्ग, अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्ग की सभी जातियों के प्रतिनिधियों के साझे मंच के रूप में कार्यरत है। यह संगठन पंजीकृत और आयकर छूट प्राप्त कल्याणकारी न्यास ‘‘डपेेपवद वित ळसवइंस ब्ींदहमए डळब्श् या ‘‘वैश्विक परिवर्तन मिशन’’ द्वारा संचालित एक इकाई है।
5. नियमावली के किसी शब्द की परिभाषा तय करना और इस अनुच्छेद का हिस्सा बनाने का अधिकार ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ केन्द्रीय केटी को होगा।

2. संगठन का नाम और पंजीकृत कार्यालय
2.1          संगठन का नाम हिंदी में ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ और अंग्रेजी में ‘‘यदुकुल रिनेशां मिशन’’ होगा। आगे इसे संक्षेप में ‘वाईपीएम’ या ‘संगठन’ के रूप में जाना जायेगा।
2.2          संगठन का प्रधान कार्यालय 1/38 विपुल खंड, गोमती नगर, लखनऊ, पिन-226010 और/या पूरे भारत के संपूर्ण कार्य क्षेत्र के ऐसे अन्य स्थान/स्थानों/ में स्थित होगा जैसा कि संगठन के केन्द्रीय कमेटी समय-समय पर निर्णय ले।  संपर्कं- फोन- 9696123456 (विचाराधीन)  Email-  yadukulmission@gmail.com, Website- www.mgc.world/ypm/

3. वैश्विक परिवर्तन मिशन (एमजीसी) के साथ ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन, वाईपीएम का संबंध

3.1 ‘‘वंचित पुनर्जागरण मिशन’’ या ‘‘Deprived Renaissance Mission, DRM” एक ऐसा संगठन है जो गरीबों, मध्यम वर्ग, अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्ग की सभी जातियों के साझे मंच के रूप में कार्यरत है। यह संगठन पंजीकृत और आयकर छूट प्राप्त कल्याणकारी न्यास ‘‘Mission for Global Change, MGC” या ‘‘वैश्विक परिवर्तन मिशन’’ द्वारा संचालित एक इकाई है। ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’, भी ‘‘वैश्विक परिवर्तन मिशन’’ द्वारा संचालित एक इकाई के इकाई के रूप में काम करेगा। जिससे यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का अन्य जातियों के संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करना संभव हो सके, पंजीकरण और आयकर छूट प्राप्त करने की प्रक्रिया में दो-तीन साल बर्बाद होने से बचाया जा सके और ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ को प्राप्त अनुदान आयकर मुक्त हो सकें। इसके लिये यदुकुल पुनर्जागरण मिशन ‘‘वंचित पुनर्जागरण मिशन’’ नामक संगठन की केन्द्रीय कार्य समिति में स्थाई प्रतिनिधि के रूप में काम करने के लिये एक प्रतिनिधि उसी प्रकार चुनेगा, जिस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ में काम करने के लिये विष्व के सभी देष एक-एक प्रतिनिधि चुनते हैं। यदुकुल पुनर्जागरण मिशन संगठन अपने नाम के साथ लिखेगा- ‘‘वैश्विक परिवर्तन मिशन की एक इकाई वंचित पुनर्जागरण मिशन के लिये कार्यरत’’। अंग्रेजी में लिखेगा- Yadukul Renassance Mission (Working for Deprived Renaissance Mission a unit of Mission for Global Change)

3.2          ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ के नाम से बैंक खाता खोला जायेगा। आयकर छूट प्राप्त करने के लिये बैंक खाता खोलते समय वैश्विक परिवर्तन मिशन का पैन कार्ड प्रयोग किया जायेगा। बैक खाते का संचालन ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ की केन्द्रीय समिति द्वारा अधिकृत तीन पदाधिकारियों के हस्ताक्षर से किया जायेगा।

3.3          संगठन वैश्विक परिवर्तन मिशन से नियमानुसार आर्थिक अनुदान लेगा और आय-व्यय का विवरण वैश्विक परिवर्तन मिशन को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में देगा। इस विषय में नियम बनाने का अधिकार वैश्विक परिवर्तन मिशन को होगा।

3.4          संगठन का नाम ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ ट्रेड मार्क अधिनियम में पंजीकृत है।

3.5          प्रथम चरण में ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ द्वारा संचालित एक स्वायत्त संगठन होगा, जो अपने स्वयं के उद्देष्यों के साथ-साथ ‘एमजीसी’ क पूर्ण या आंशिक उद्देश्यों के लिये काम करेगा। द्वितीय चरण में ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन की केन्द्रीय कमेटी की सर्वसम्मति से यदुकुल पुनर्जागरण मिशन को स्वतंत्र संगठन के रूप में पंजीकृत कराया जायेगा किन्तु यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का वंचित पुनर्जागरण मिशन से संबंध यथावत बना रहेगा। द्वितीय चरण में यदुकुल पुनर्जागरण मिशन विष्व परिवर्तन मिषन से संचालित संगठन की बजाय विष्व परिवर्तन मिषन से सम्बद्ध संगठन के रूप में काम करेगा।

3.6          वाईपीएम के कर्मचारियों और स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के लिए संगठन जो पाठ्यक्रम निर्मित करेगा, उसको एमजीसी द्वारा अनुमोदित / संशोधित किया जाएगा।

3.7          ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ की नियमावली के किसी प्रावधान की व्याख्या एमजीसी द्वारा किया जायेगा और नियमावली संबंधी अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर भी एमजीसी द्वारा दिया जायेगा।

4. संगठन के अंग और उनका गठन
4.1          संगठन के निम्नलिखित आठ अंग होंगे-

4.1.1      संस्थापक,
4.1.2      ब्युरो,
4.1.3      बोर्ड
4.1.4      साधारण सभायें
4.1.5      कार्य समितियां
4.1.6      न्यायिक परिषदें
4.1.7      वित्त प्रबंधन परिषदें

4.2          संगठन ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ की स्थापना के लिये पूर्व मंत्री व संभल के पूर्व सांसद श्री डी. पी. यादव पुत्र महाशय श्री तेजपाल सिंह यादव निवासी- 1/38 विपुल खंड, गोमतीनगर, लखनऊ, पिन-226010 को वैश्विक परिवर्तन मिशन की केन्द्रीय कार्य समिति द्वारा अधिकृत किया गया है। श्री डी. पी. यादव को इस नियमावली में आगे से ‘‘संगठन का संस्थापक’’ या ‘‘संस्थापक’’ कहा जाएगा।

4.3          ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ के संस्थापक को ब्युरो के न्युनतम तीन और अधिकतम 07 सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार होगा। अपनी नियुक्ति के बाद संस्थापक की सलाह पर ब्युरो के सदस्य तीन चैथाई बहुमत से संस्थापक के कार्योंं को सम्पादित करेंगे।

4.4          ब्यूरो और बोर्ड के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक 32 होगी। दोनो अंगों में सदस्यों की संख्या बराबर होगी। एमजीसी के अनुमोदन पर इस संख्या को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। ब्यूरो और बोर्ड के सदस्य सामूहिक रूप से केन्द्रीय कार्य समिति के लिये साधारण सभा का कार्य करेंगे।

4.5          भारत का कोई भी व्यक्ति यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के ब्युरो का सदस्य बन सकता है, जो वाईपीएम के नियमावली में विश्वास करने और संगठन के काम के लिये अधिकतम समय देने की घोषणा करता हो और उसकी उपयोगिता को देखते हुये उसका नाम ब्यूरो के वरिष्ठतम सदस्य द्वारा प्रस्तावित किया जाए और ब्यूरो के तीन-चैथाई सदस्यों द्वारा स्वीकार किए जाए।

4.6          वाईपीएम निधि के संवर्धन के लिए किसी भी व्यक्ति को बोर्ड के सदस्य के रूप में भर्ती किया जा सकता है, जो भारत की तत्कालीन प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आय के 10 गुना के बराबर या उससे अधिक राशि यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के खाते में दान करेगा और जिसका नाम बोर्ड के तीन-चैथाई सदस्यों द्वारा स्वीकार किया जाएगा।  बोर्ड के संस्थापक सदस्य के रूप में स्वीकार करने के लिए वित्तीय अनुदान की रकम के आधार पर दानदाताओं की मेरिट सूची बनाई जायेगी। सबसे बड़ी राशि के दाताओं को प्राथमिकता दी जाएगी और उनके नामों को शीर्ष पर सूचीबद्ध किया जाएगा। इस सूची को प्रत्येक वर्ष  अप्रैल महीने में प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए अद्यतन किया जाएगा। मेरिट सूची पिछले वित्तीय वर्ष में संगठन को दिए गए दान की राशि को देखते हुए बनाई जायेगी। इस संबंध में एमजीसी की सलाह पर ब्यूरो के सदस्यों द्वारा विस्तृत नियम बनाए जाएंगे।

4.7          जब जक उक्त धारा 4.6 की शर्तें पूरी नही होतीं, तब तक ‘‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’’ को सर्वाधिक अनुदान देने वाले उतने दानदाताओं को ब्युरों के सदस्यों द्वारा बोर्ड की सदस्यता दी जायेगी, जितने सदस्य ब्युरो में नियुक्त किये जाएंगे।
कार्य क्षेत्र, संगठन की इकाइयों के स्तर, प्रकोष्ठ और मोर्चे –

5.1          संगठन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संगठन की आवश्यकताओं के अनुसार पूरे भारत में या किसी भी राज्य में या किसी भी जिले में काम करेगा। केन्द्रीय समिति के सदस्यों के  तीन-चैथाई बहुमत से कार्य क्षेत्र में संशोधन किया जा सकता है।

5.2          वाईपीएम के प्रकोष्ठों की सूची निम्नवत होगी-

1  जातीय जनगणना प्रकोष्ठ
2. अहीर रेजिमेंट प्रकोष्ठ
3. वोटरशिप प्राधिकार प्रकोष्ठ
4. दक्षिण एशियाई यूनियन प्रकोष्ठ
5. कोष संग्रह प्रकोष्ठ
6. समन्वय प्रकोष्ठ
7. मीडिया प्रकोष्ठ
8. प्रकाशन प्रकोष्ठ
9. प्रशिक्षण प्रकोष्ठ
10. ईवीएम उन्मूलन सेल
11. एमएसपी प्रकोष्ठ
12. मानवाधिकार प्रकोष्ठ

5.3. वाईपीएम के मोर्चों की सूची निम्नवत होगी-

  1. किसान मोर्चा
  2. युवा मार्चा
  3. महिला मोर्चा
  4. संस्कृति रक्षक मोर्चा
  5. समाजवादी मोर्चा
  6. राष्ट्रवादी मोर्चा
  7. रेहड़ी पटरी व्यापारी मोर्चा
  8. पटेल मोर्चा
  9. लोधी मोर्चा
  10. यादव मोर्चा
  11. मौर्या मोर्चा मोर्चा
  12. पासी मोर्चा
  13. निषाद मोर्चा
  14. पाल मोर्चा
  15. जाटव मोर्चा
  16. धोबी मोर्चा
  17. चमार मोर्चा
  18. सीमांत समाज मोर्चा
  19. उद्योग व्यापार मोर्चा
  20. कलाकार मोर्चा

5.4 संगठन की इकाइयां निम्नलिखित स्तरों पर गठित की जायेंगी-
1     केन्द्रीय स्तर
2 दक्षिण एशियाई मामलों का स्तर
3    अखिल भारतीय स्तर
4    राज्य स्तर
5    लोकसभा स्तर
6    मंडल स्तर
7    जिला स्तर
8    ब्लॉक/टाउन एरिया स्तर
9    तहशील स्तर
10   सेक्टर/न्याय पंचायत स्तर
11   ग्राम /वार्ड स्तर

5.5 संगठन की विविध स्तर की प्रबंध समितियों में पद और कार्यकाल निम्नवत होंगे-

1 अघ्यक्ष 4 वर्ष
2 वरिष्ठ उपाध्यक्ष 4 वर्ष
3 प्रमुख महासचिव 4 वर्ष
4 महासचिव 4 वर्ष
5 सचिव (संख्या महासचिव के विवेकानुसार) 4 वर्ष
6 कोषाघ्यक्ष 4 वर्ष
7 प्रवक्ता 4 वर्ष
8 संबंधित स्तर के सभी प्रकोष्ठों के अध्यक्ष या उनके स्थाई प्रतिनिधि 4 वर्ष
9 संबंधित स्तर के सभी मोर्चों के अध्यक्ष या उनके स्थाई प्रतिनिधि 4 वर्ष
10 संबंधित स्तर के यदुकुल समाज के सभी संगठनों के अध्यक्षगण/स्थाई प्रतिनिधि

5.6 संगठन की कार्य समितियों में अघ्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रमुख महासचिव और कोषाघ्यक्ष के एक-एक पद होगे। महासचिव के पांच पद होंगे। सचिवों और प्रवक्ताओं की संख्या संबंधित कार्य समिति के प्रमुख महासचिव के विवेकानुसार होगी।

6.. संगठन के उद्देश्य

6.1 यदुकुल समाज के स्वाभिमान, मान-मर्यादा, एवं समाज के विभिन्न संगठनों और अन्य वर्गों की एकजुटता और विकास के लिये काम करना।

6.2 इस समाज के प्रत्येक व्यक्ति की उन्नति एवं सुरक्षा के लिये सत्ता और संपत्ति में और अन्य सभी क्षेत्रों में इस समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी दिलाना।

6.3 यादव समाज की समस्त जातियों और उप जातियों और क्षेत्रीय जातियों की उन्नति, एकजुटता व कल्याण के लिये समाज के जितने भी संगठन चल रहे हैं- उन सब की एकजुट ताकत का लाभ समाज को दिलाने के लिये एक ऐसा संयुक्त मंच सुलभ कराना- जिसमें सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को निर्णय प्रक्रिया में समुचित भागीदारी मिली हो, जो परिवारवाद से मुक्त हो, लिखित संविधान पर काम करता हो, जिसका ढ़ाचा लोकतांत्रिक हो और उसका लेखा जोखा तथा उसकी निर्णय प्रर्किया पारदर्षी हो।

6.4 सांसदों द्वारा संसद में प्रस्तुत वोटरषिप अधिकार की याचिका को कानूनी दर्जा दिलाकर वोटरों को सन् 2021 की कीमतों पर प्रतिमाह ₹8000 मतकर्तावृत्ति दिलाने के लिये काम करना, जिससे सत्ता व सम्पत्ति में भागीदारी दिलाना संभव हो सके।

6.5 जनहित में सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के लिये व अन्य सामूहिक कल्याण के लिये एससी. एसटी. ओबीसी समाज को संगठित करना।

6.6 सेना में अहीर रेजीमेंट बनवाने के लिये काम करना।

6.7 संस्कृति रक्षा के लिये काम करना।

6.8 देष को विष्व पटल पर एक मजबूत राजनीतिक व आर्थिक ताकत बनाने के लिये काम करना।

6.9 यादव समाज की एकजुट सामाजिक और राजनीतिक ताकत को क्षेत्रवाद, भाषावाद, कुल-खानदानवाद और राजनैतिक दलबंदी से खंड-खंड होने से बचाने के लिये काम करना।

6.10 सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, साम्प्रदायिक और धार्मिक अंधविष्वासों के उन्मूलन के लिये काम करना, जिससे समाज का पुनर्जागरण करना संभव हो सके।

6.11 शादी-विवाह, जन्मोत्सव, मृत्युभोज इत्यादि अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकना, शिक्षा के महत्व का प्रचार-प्रसार करना, सामूहिक विवाहोत्सवों का आयोजन करना, समाज के लोगों के आपसी विवादों और मुकदमों का समझौता कराना, समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करना तथा दहेज प्रथा के खिलाफ प्रसार-प्रसार करना।

6.12 किसानों, युवकों-युवतियों, महिलाओं के कल्याण और मार्गदर्षन देने के लिये काम करना।

6.13 यूरोपियन यूनियन के पैटर्न पर दक्षिण एषियाई यूनियन बनाने के लिए काम करना- जिससे देश की सीमाओं और सैनिकों की सुरक्षा हो सके, हिन्दू-मुसलमान एकता हो सके और सुरक्षा तथा निर्यात के नाम पर देश में जानबूझकर बनाकर रखी गई गरीबी, आर्थिक गुलामी और अलोकतांत्रिक आर्थिक विषमता को खत्म किया जा सके और सभी नागरिकों को देश की औसत संवृद्वि में भागीदारी दी जा सके।

6.14 कल्याणकारी संगठन वैश्विक परिवर्तन मिशन यानी ‘मिषन फॉर ग्लोबल चेंज’ के उद्देश्यों के लिए काम करना, जिससे संगठन की ताकत स्थानीय समाज और वैश्विक समाज को तोड़ने की बजाय जोड़ने में लगे और संगठन के सदस्यों का व्यक्तित्व विकास हो सके। संगठन वैश्विक परिवर्तन मिशन के निम्नलिखित कार्यों को संपादित करने में सहयोग करेगा-

6.14.1 संगठन प्राकृतिक संसाधनों द्वारा, मशीनों के श्रम द्वारा और विभिन्न कानूनों और उन कानूनों को लागू करने वाली एजेंसियों के अस्तित्व के कारण संभव हुई पैदावार प्रत्येक वयस्क नागरिकों / वोटर के बीच सरकार द्वारा समान रूप से वितरण किया जाये, इसके लिये काम करेगा।
6.14.2 आर्थिक लोकतंत्र, आर्थिक भाईचारे, न्यूनतम आर्थिक समानता की स्थापना और नागरिकों और राष्ट्र राज्यों के बीच आय के अंतर को कम करने के लिए काम करेगा।
6.14.3 अपने सदस्यों, पदाधिकारियों और अन्य लोगों द्वारा संगठन को दिए गए दान को सरकार द्वारा उन्हें वापस दिलाने के लिए काम करना। चाहे यह दान नकद में दिया गया हो, या शारीरिक परिश्रम, या मानसिक परिश्रम या सम्पत्तियों के किराये के रूप में दिया गया हो। दिए गए दान का नकदी में मूल्यांकन करने के लिए और मूल्यांकन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए संगठन वैश्विक परिवर्तन मिशन की मदद लेगा, जिससे लोगों को संगठन को अधिक से अधिक दान देने की प्रेरणा मिले।
6.14.4 जातिवाद और वर्ण व्यवस्था के उन्मूलन के लिये जो भी गतिविधियां चलाना आवष्यक हो, चलाना।

6.15 स्कूलों, कॉलेजों, वैश्विक परिवर्तन केन्द्रों का संचालन करना। पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और पुस्तकों को मुद्रित और प्रकाशित करना और यदुकुल समुदाय की प्रगति के लिए रेडियो, यूट्यूब चौनल, पुस्तकालयों, पढ़ने के कमरे, विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं, अनुसंधान केन्द्रों और इसी तरह के अन्य संस्थानों के नेटवर्क को स्थापित करने, चलाने, और उनको बनाए रखने के लिए काम करेगा।

6.16 छात्रवृत्तियों की स्थापना, रखरखाव और संचालन करने के लिए काम करना और छात्रों को पुस्तकों, वजीफे, पदकों और अन्य प्रोत्साहनों की आपूर्ति सहित अन्य प्रकार की सहायता प्रदान करना।

6.17 गरीबों, जरूरतमंदों और निराश्रित लोगों, अनाथों, विधवाओं और वृद्ध व्यक्तियों को राहत और सहायता देने के लिए काम करना। वृद्धों, अनाथालयों या अन्य प्रतिष्ठानों के लिए संस्थानों की स्थापना, रखरखाव करना या उनको अनुदान व सहायता देना।

6.18 शारीरिक रूप से विकलांग या मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों के लिए संस्थानों की स्थापना करना और उन्हें शिक्षा, भोजन, कपड़े या अन्य सहायता प्रदान करने के लिए काम करना।

6.19 प्राकृतिक आपदाओं जैसे अकाल, भूकंप, बाढ़, आग, महामारी आदि के दौरान जरूरतमंद पीड़ितों को राहत और सहायता का कार्य करना और ऐसे राहत कार्यों में लगे संस्थानों, प्रतिष्ठानों या व्यक्तियों को दान और अन्य सहायता देने का काम करेगा।

6.20 भारत के संविधान में दिए गए राज्य के नीति के निर्देशक सिद्धांतों के विभिन्न आदर्शों को लागू करने के उद्देश्य से, उन संगठनों और व्यक्तियों के साथ जुड़कर काम करना जो इन आदर्षों के लिये कार्यरत हैं।

6.21 समावेशी लोकतंत्र सुनिश्चित करने, समाजवाद की रक्षा करने, शक्ति संरचना का पुनर्गठन करने, राज्य की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति के ऊर्ध्वाधर पृथक्करण करने, सामाजिक व आर्थिक न्याय कायम करने, आर्थिक लोकतंत्र कायम करने और सभी नागरिकों को आर्थिक स्वतंत्रता देने, सबको आर्थिक मानवाधिकार सुलभ कराने और अन्यायपूर्ण राजनीतिक व आर्थिक प्रणाली से पीड़ितों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए काम करना।

6.22 वाईपीएम संगठन के उद्देश्यों को व्यवहार में उतारने के लिए सक्षम प्रशिक्षित कार्यकर्ता पैदा करने के लिए प्रशिक्षण केंद्रों का संचानल करना। ऐसे प्रशिक्षुओं को छात्रावास, कार्यालय, कक्षाओं और ऑडिटोरियम की सुविधाएं दिलाने के लिए काम करेगा।

6.23 भारत सरकार, राज्य सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषण एजेंसियों की परियोजनाओं को चलाना। जिन्हें देष के कानून को देखते हुए चलाना संभव हो और जिनको एमजीसी द्वारा अनुमोदित किया जाए।

7. सदस्यता

7.1 भारत के किसी भी राज्य के यदुकुल समुदाय का कोई भी व्यक्ति जो भारतीय संविधान और वाईपीएम के नियमावली में विश्वास करता हो, वह वाईपीएम के सदस्य के रूप में शामिल हो सकता है।
7.2 वाईपीएम के सदस्यों की श्रेणी निम्नानुसार होगी-
7.2.1 संस्थापक सदस्य- वे सदस्य जिन्होंने संगठन /वाईपीएम का गठन किया।
7.2.2 ब्यूरो सदस्य- जैसा कि वाईपीएम के नियम (4.2) में परिभाषित किया गया है।
7.2.3 बोर्ड के सदस्य- जैसा कि वाईपीएम के नियम (4.3) में परिभाषित किया गया है।
7.2.4 संरक्षक सदस्य – अपनी विष्वसनीयता और प्रतिष्ठा में वृ़िद्ध के लिये किसी भी स्तर की कोई भी कार्य समिति अपने अघ्यक्ष की सलाह पर किसी एक व्यक्ति या एक से अधिक व्यक्तियों को संबंधित कमेटी का संरक्षक बना सकेगी। संबंधित कमेटी के अघ्यक्ष के प्रसाद पर्यंत संरक्षक अपने पद पर बने रह सकेंगे। संरक्षक पद पर चुने गये संगठन के सभी संरक्षकों को सामूहिक रूप से संरक्षक सदस्य कहा जायेगा।
7.2.5 सलाहकार सदस्य- उचित सलाह द्वारा संगठन के काम को सुचारू ढ़ग से सम्पादित करने के लिये किसी भी स्तर की कोई भी कार्य समिति अपने अघ्यक्ष की सलाह पर किसी एक व्यक्ति या एक से अधिक व्यक्तियों को संबंधित कमेटी का सलाहकार बना सकेगी। संबंधित कमेटी के अघ्यक्ष के प्रसाद पर्यंत सलाहकार अपने पद पर बने रह सकेंगे।
7.2.6 आजीवन सदस्य- देष की तत्कालीन प्रति व्यक्ति औसत आय की दो गुना रकम संगठन के खाते में अनुदान देने वाला व्यक्ति संगठन का आजीवन सदस्य होगा।
7.2.7 दक्षिण एशियाई सदस्य- एमजीसी द्वारा जारी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के उन धारकों को दक्षिण एशियाई सदस्य कहा जायेगा जिनको केन्द्रीय कमेटी दक्षिण एशियाई संघ बनाने के लिए दक्षिण एशियाई सदस्य के रूप में मान्यता प्रदान करे।
7.2.8 अखिल भारतीय सदस्य- जो व्यक्ति संगठन के खाते में प्रत्येक 4 साल में 1,00,000/- रुपये का दान करेगा, उसे अखिल भारतीय साधारण सभा का सदस्य माना जाएगा।
7.2.9 प्रादेषिक सदस्य- जो व्यक्ति संगठन के खाते में प्रत्येक 4 साल में 51,000 रुपये दान करेगा, उसे संबंधित राज्य की साधारण सभा का सदस्य माना जाएगा।
7.2.10 मंडलीय/संभागीय सदस्य- जो व्यक्ति संगठन के खाते में प्रत्येक 4 साल में 21,000/- रुपये दान करेगा, उसे संबंधित मंडल/संभाग का साधारण सभा का सदस्य माना जाएगा।
7.2.11 जनपदीय सदस्य- जो व्यक्ति संगठन के खाते में प्रत्येक 4 साल में 11,00/- रुपये जमा करेगा, उसे संबंधित जिले की साधारण सभा का सदस्य माना जाएगा।
7.2.12 सक्रिय सदस्य- जो व्यक्ति संगठन के खाते में प्रतिवर्ष 100/- रुपये का दान करेगा, या साधारण सदस्य बनाकर इतनी रकम की सदस्यता राषि जमा करायेगा, उसे संबंधित सेक्टर या न्याय पंचायत की साधारण सभा का सक्रिय सदस्य माना जाएगा।
7.2.13 प्राथमिक सदस्य- जो व्यक्ति प्रतिवर्ष में 25/- रुपये का दान करेगा, उसे संबंधित गांव /वार्ड की साधारण सभा का साधारण सदस्य माना जाएगा।

 7.3 एक व्यक्ति सदस्य नहीं रहेगा यदि-
7.3.1      वह अनुपस्थिति की छुट्टी के बिना संस्थापक सदस्यों की लगातार तीन बैठकों में या एक कैलेंडर वर्ष के लिए, जो भी अधिक हो, में भाग नहीं लेता / लेती है, या
7.3.2      उससे अनुरोध किया जाता है कि वह शेष संस्थापक सदस्यों के 3/4 वें तक या उसके जितना संभव हो, उतना निकट इस्तीफा दे दे।
7.3.3      प्रत्येक सदस्य को संबंधित इकाई के अध्यक्ष/सचिव को ऐसा करने के अपने इरादे के बारे में एक महीने का नोटिस देने पर इस्तीफा देने की स्वतंत्रता होगी।

7.4 कोई भी पुरुष या महिला जिसकी उम्र 21 वर्ष से अधिक है और जिसका नैतिक चरित्र अच्छाा रहा है इस संगठन का सदस्य बनने के लिए पात्र होगा।
7.5 सदस्यता की अयोग्यता- वाईपीएम के उन सदस्यों को सदस्य के रूप में कार्य करने के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा, यदि,

7.5.1.     वह वाईपीएम के हित के खिलाफ कार्य करता है और वाईपीएम के विलेख और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों का पालन नहीं करता है।
7.5.2.     वह इस संगठन के संबंध में दुर्भावना, से ग्रस्त होकर कोई काम करता है। या दुराचार, दुनियोजन के उल्लंघन के किसी भी कार्य को करता है।
7.5.3.     उसे भारतीय न्यास अधिनियम 1882 के तहत वर्णित नैतिक पतन या अपराध से जुड़े आपराधिक कृत्य के लिए दोषी ठहराया गया है।
7.5.4.     उसे दिवालिया घोषित कर दिया गया हो।
7.5.5.     वह स्वेच्छा से इस्तीफा दे देता है या शारीरिक या /और मानसिक रूप से सदस्य के रूप में कार्य करने में असमर्थ हो जाता/जाती है।

8. संगठन की साधारण सभायें और कार्य समितियां

8.1.         सभी स्तर की प्रबंध समितियों को निर्देशित करने, बजट का आंवंटन करने और समितियों के कायों की समीक्षा करने के लिये संबंधित स्तर पर सभी कार्य समितियों की अपनी-अपनी साधारण सभा होगी।

8.2          केन्द्रीय स्तर की कार्य समिति का काम- संगठन का संस्थापक / अघ्यक्ष अपने द्वारा नामित केन्द्रीय समिति के पदाधिकारियों द्वारा संपादित करेगा। संगठन के ब्यूरो और बोर्ड के सदस्य सामूहिक रूप से केंद्रीय स्तर की साधारण सभा का काम संपादित करेंगे।

8.3          स्तर वार साधारण सभाओं का गठन- केंद्रीय साधारण सभा का गठन ब्यूरो और बोर्ड के सदस्य गण करेंगे। ब्यूरो और बोर्ड के सदस्यों की संख्या के योग के एक तिहाई सदस्य कार्य समिति के सदस्य बनाए जा सकेंगे।

8.4          केंद्रीय कार्य समिति के अध्यक्ष का पद स्थापन – संगठन विरोधी ताकतों से संगठन को सुरक्षित रखने के लिये संगठन का संस्थापक ही संगठन की केंद्रीय कार्य समिति का स्थाई अध्यक्ष होगा, जो वैश्विक परिवर्तन मिशन के प्रसाद पर्यंत इस पद पर बना रहेगा। उसके पद पर किसी अन्य व्यक्ति की नियुक्ति तभी हो सकती है, जब वह या तो त्यागपत्र दे दे या उसकी मृत्यु हो जाए। यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का संगठन सुप्रीमो माडल की बजाय सलाह मशविरा, चर्चा परिचर्चा करके लोकतांत्रिक मॉडल पर चलाया जायेगा। मिशन की एकता अखंडता का प्रश्न उठ जाने पर अध्यक्ष को अपने वीटो पावर के उपयोग का अधिकार होगा।

8.5          केंद्रीय प्रबंधन समिति का प्रबंधन- वाईपीएम के संस्थापक संगठन के ब्युरो व बोर्ड के सदस्यों में से संगठन की दिन-प्रतिदिन की गतिविधि को देखने के लिए वाईपीएम की एक केंद्रीय प्रबंधन समिति का गठन करेंगे। वाईपीएम के संस्थापक के जीवन काल के बाद ब्यूरो के सबसे वरिष्ठ सदस्य को सर्वसम्मति से या ब्यूरो के सदस्यों के तीन-चैथाई बहुमत के अनुमोदन पर आजीवन केन्द्रीय कार्यसमिति के अघ्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाएगा।  वाईपीएम के दो अन्य अंग अर्थात् ब्यूरो और बोर्ड संगठन की केंद्रीय प्रबंधन समिति को निर्देश जारी करने के लिए केन्द्रीय प्रबंधन समिति के अघ्यक्ष की सहायता करेंगे। ब्युरो व बोर्ड के सदस्य केंद्रीय प्रबंधन समिति के सदस्य हो सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं। केन्द्रीय प्रबंधन समिति के ब्युरो के सदस्य संगठन के  विभिन्न इकाइयों, विभिन्न पदों पर भर्ती, पात्रता, कार्यकाल, निलंबन, पदमुक्ति, अधिकारों और कर्तव्यों के संबंध में नियम बनाएंगे। केंद्रीय प्रबंधन समिति के सदस्यों की मृत्यु, इस्तीफे और हटाने के कारण उत्पन्न होने वाली रिक्तियों के मामले में ब्युरो और बोर्ड के वर्तमान सदस्य सामूहिक रूप से रिक्त जगह पर नये सदस्यों को अपने विवेक से नियुक्त करने के हकदार होंगे।

8.6          दक्षिण एशियाई मामलों की कार्य समिति के अध्यक्ष का पद स्थापन -यथाशक्य दो पड़ोसी लोकसभा क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्र को दक्षिण एशियाई संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के रूप में सीमांकित किया जायेगा। संगठन की न्याय पंचायत  कमेटियों के प्रतिनिधि संगठन के दक्षिण एशियाई संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की कमेटियों के अध्यक्षों का चुनाव करेंगे। दक्षिण एशियाई संसदीय  निर्वाचन क्षेत्रों की कमेटियों के अध्यक्ष मिलकर दक्षिण एशियाई मामलों की कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिये मतकर्ता मण्डल का गठन करेंगे। जब तक कम से कम 500 न्याय पंचायतों की कमेटियों का गठन नहीं हो जाता है, तब तक दक्षिण एशियाई मामलों की कमेटी के अध्यक्ष का मनोनयन संगठन की अखिल भारतीय कमेटी के अध्यक्ष और प्रादेशिक कमेटियों के अध्यक्षों की सलाह पर केंद्रीय कार्यसमिति का अध्यक्ष करेगा।

8.7          अखिल भारतीय कार्य समिति के अध्यक्ष का पद स्थापन – संगठन की लोकसभा कमेटियों के अध्यक्ष प्रदेश कमेटियों के अध्यक्षों और संगठन के अखिल भारतीय सदस्यों के साथ मिलकर अखिल भारतीय कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिये मतकर्ता मण्डल का गठन करेंगे। इस निर्वाचन में प्रदेश कमेटियों के अध्यक्षों के मतों का मूल्य निकालने के लिये सभी अखिल भारतीय सदस्यों की संख्या में प्रदेश कमेटियों के सभी अध्यक्षों की संख्या द्वारा भाग दिया जायेगा। इस निर्वाचन में लोकसभा कमेटियों के अध्यक्षों के मतों का मूल्य  वह संख्या होगी संबंधित लोकसभा में जितनी संख्या में ब्लाक कमेटियां मौजूद होंगी।  जब तक कम से कम 100 ब्लाकों की कमेटियों का गठन नहीं हो जाता है, तब तक अखिल भारतीय कमेटी के अध्यक्ष का मनोनयन संगठन की दक्षिण एशियाई मामलों की कमेटी के अध्यक्ष और प्रादेशिक कमेटियों के अध्यक्षों की सलाह पर केंद्रीय कार्यसमिति का अध्यक्ष करेगा।

8.8          प्रादेशिक कार्य समिति के अध्यक्ष का पद स्थापन – संगठन की जनपद कमेटियों के अध्यक्ष संगठन के प्रदेश सदस्यों के साथ मिलकर प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिये मतकर्ता मण्डल का गठन करेंगे। इस निर्वाचन में जनपद कमेटियों के अध्यक्षों के मतों का मूल्य निकालने के लिये प्रदेश के कुल सदस्यों की संख्या में जनपद कमेटियों के सभी अध्यक्षों की संख्या द्वारा भाग दिया जायेगा। जब तक कम से कम 10 जनपदों की कमेटियों का गठन नहीं हो जाता है, तब तक प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष का मनोनयन संगठन की अखिल भारतीय कमेटी के अध्यक्ष की सलाह पर केंद्रीय कार्यसमिति का अध्यक्ष करेगा।

8.9          मण्डलीय कार्य समिति के अध्यक्ष का पद स्थापन – संगठन की जनपद कमेटियों के अध्यक्ष मण्डलीय सदस्यों के साथ मिलकर मण्डलीय कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिये मतकर्ता मण्डल का गठन करेंगे। इस निर्वाचन में जनपद कमेटियों के अध्यक्षों के मतों का मूल्य निकालने के लिये कुल मण्डलीय सदस्यों की संख्या में जनपद कमेटियों के सभी अध्यक्षों की संख्या द्वारा भाग दिया जायेगा। जब तक कम से कम 2 जनपदों की कमेटियों का गठन नहीं हो जाता है, तब तक मण्डलीय कमेटी के अध्यक्ष का मनोनयन संगठन की प्रादेशिक कमेटी का अध्यक्ष करेगा।

8.10        जनपद कार्य समिति के अध्यक्ष का पद स्थापन – संगठन की तहशील कमेटियों के अध्यक्ष जनपद सदस्यों के साथ मिलकर जनपद कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिये मतकर्ता मण्डल का गठन करेंगे। इस निर्वाचन में तहशील कमेटियों के अध्यक्षों के मतों का मूल्य निकालने के लिये जनपद के कुल सदस्यों की संख्या में तहशील कमेटियों के सभी अध्यक्षों की संख्या द्वारा भाग दिया जायेगा। जब तक कम से कम 2 तहशीलों की कमेटियों का गठन नहीं हो जाता है, तब तक जनपद कमेटी के अध्यक्ष का मनोनयन संगठन की प्रादेशिक कमेटी का अध्यक्ष करेगा।

8.11        ऊध्र्वाधर कार्य समिति के लिए महासचिवों की नियुक्ति- केंद्रीय कार्यसमिति का प्रमुख महासचिव विश्व परिवर्तन मिशन द्वारा प्रशिक्षित और नामित व्यक्ति होगा। केंद्रीय कार्यसमिति का प्रमुख महासचिव दक्षिण एशियाई मामलों की कमेटी, अखिल भारतीय कमेटी और प्रादेशिक कमेटियों के लिए महासचिवों की नियुक्ति करेगा। प्रादेशिक महासचिव जनपद कमेटी के लिए महासचिवों की नियुक्ति करेंगे और जनपद कमेटी के महासचिव ब्लाक कमेटियों, न्याय पंचायत कमेटियों और ग्राम कमेटियों के लिए महा सचिवों की नियुक्ति करेंगे।

8.12        सचिवों की नियुक्ति – सभी कमेटियों के प्रमुख महासचिव अपनी कमेटी के लिये इतनी संख्या में सचिवों की नियुक्ति कर सकेगा, कार्य संपादन के लिए जितनी संख्या में नियुक्ति करना वह आवश्यक समझे। सचिवों के पदसोपान संबंधी नियमावली बनाने का अधिकार केन्द्रीय कार्य समिति के महासचिव को होगा।

8.13        कोषाध्यक्षों की नियुक्ति- सभी कार्यसमितियों में कोषाध्यक्षों की नियुक्ति संबंधित समिति का अध्यक्ष करेगा।

8.14        बैंक खाता संचालकों की नियुक्ति- अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष बैंक खातों का संचालन करेंगे या ये तीनों सर्वसम्मति से दो अन्य व्यक्तियों का चयन करेंगे, जो कोषाघ्यक्ष के साथ संगठन के बैंक खातों का संचालन करेंगे। बैंक खातों को संचालित करने वाले कोषाध्यक्ष के अलावा अन्य दो व्यक्तियों को किसी भी समय हटाने और नए व्यक्ति को नियुक्त करने का अधिकार संबंधित समिति के अध्यक्ष को होगा।

8.15   जनपद स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक की कार्य समितियों की साधारण सभाओं का काम जनपद स्तर की साधारण सभा सम्पादित करेगी।

8.16   साधारण सभाओं और कार्य समितियों के गठन संबंधी अपेक्षित अन्य नियमों को बनाने का अधिकार संगठन की केन्द्रीय कार्य समिति को होगा।

8.17   संगठन के किसी भी पदाधिकारी को यह अधिकार नहीं होगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को संगठन का पदाधिकारी बनने से रोके, जिससे उसके संबंध मधुर नही रहे हैं।

9. न्यायिक परिषदें और वित्त प्रबंधन परिषदें

9.1          न्यायिक परिषदें,

9.1.1      न्यायिक परिषद का गठन और कार्य

सदस्यों और पदाधिकारियों पर अनुषासनात्मक कार्यवाही करने,  विवादों के निपटारे और संगठन के संविधान के अनुसार संगठन के कार्यों को सम्पादित करने के लिए संगठन की एक न्यायिक परिषद होगी। न्यायिक परिषद की केंद्रीय इकाई के कार्यकारी प्रमुख को न्यायिक परिषद का केंद्रीय अध्यक्ष कहा जाएगा। केंद्रीय न्यायिक परिषद का अध्यक्ष केंद्रीय कार्यसमिति का सदस्य होगा। न्यायिक परिषद का काम यह देखना होगा कि-

    1. क्या संबंधित स्तर की कार्यसमिति संगठन के संविधान के अनुसार कार्य कर रही है?
    2. संबंधित स्तर की साधारण सभा के विरुद्ध या किसी कमेटी के विरुद्ध या साधारण सभा या कार्यसमिति के किसी सदस्य के विरुद्ध न्यायिक परिषद के सम्मुख प्रस्तुत की गई याचिकाओं का निस्तारण करना।
    3. पार्टी के संविधान की भावना के अनुरूप न्यायिक परिषद के संविधान को विकसित करना, न्यायिक परिषद की कार्य प्रणाली को विकसित करना, न्यायिक परिषद से जुड़े अधिवक्ताओं को प्रशिक्षित करना और मान्यता देना, विवादों के निपटारे के लिये याचिकाओं का पंजीकरण करना, याचिकाओं की ट्रायल प्रक्रिया विकसित करना और न्यायिक परिषद के आदेशों को लागू करने के तरीके विकसित करना।

9.1.2      न्यायिक परिषद के कानूनी कार्य के विशेषज्ञ

9.1.2.1   पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति द्वारा संचालित या अधिकृत कुछ विश्वविद्यालय या संस्थान होंगे, जो पार्टी के सिद्धांतों, नीतियों और नियमों का विधिवत शिक्षण प्रशिक्षण का कार्य करेंगे। इन विश्वविद्यालयों से प्रमाणपत्र प्राप्त और संबंधित ऊध्र्वाधर कार्यसमिति से मान्यता प्राप्त विधि विशेषज्ञ संबंधित न्यायिक परिषद में व्यावसायिक अधिवक्ता के रूप में कार्य करेंगे।

9.1.2.2   जब तक पार्टी द्वारा संचालित या अधिकृत विश्वविद्यालयों या संस्थानों द्वारा प्रशिक्षित विशेषज्ञ अस्तित्व में नहीं आते, तब तक ऊध्र्वाधर कमेटियों के प्रथम उपाध्यक्ष कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेट के कार्यों को संपादित करेंगे।

9.1.2.3   याचिकाकर्ताओं को यह अधिकार होगा कि वह केवल उन्हीं विधि विशेषज्ञों को याचिका पर निर्णय देने के लिए अधिकृत करें, जो स्वभाव से ही न्यायप्रिय हों, निर्णय शीघ्रातिशीघ्र देते हों और न्यूनतम व्यय में देने में सक्षम हों।

9.1.2.4   सभी मान्यता प्राप्त कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेटों से अपेक्षा होगी कि वे याचिकाओं पर न्याय देने की प्रक्रिया इतनी कम खर्चीली रखें, जिससे कि साधारण जीवन यापन करने वाले लोग भी याचिका दायर करने का साहस जुटा पाएं और उस की अदालत में अधिकतम याचिकाएं दाखिल हो सकें।

9.1.2.5   सभी कानूनी विशेषज्ञों के लिए अनिवार्य होगा कि वे न्यायिक फैसलों में फैसले की राशि का भी उल्लेख करें तथा उस राशि का 10ः  संबंधित स्तर की कार्यसमिति के कोष में जमा कराएं। यह राशि जमा करने में विफल कानूनी विशेषज्ञों की और जो निजी स्वार्थ में या पक्षपात के आधार पर याचिका पर निर्णय देंगे, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

9.1.3      न्यायिक परिषद का गठन उसके सदस्यों और अधिवक्ताओं के अधिकार और कर्तव्य-

9.1.3.1   कार्यसमिति का अध्यक्ष किसी उपयुक्त व्यक्ति को संबंधित इकाई की न्यायिक परिषद का अध्यक्ष मनोनीत करेगा। किसी व्यक्ति को न्यायिक परिषद का अध्यक्ष मनोनीत होने के लिए आवश्यक होगा कि वह व्यक्ति पार्टी के संविधान का जानकार हो। साथ ही वह प्रशिक्षण लेकर पार्टी संविधान के विविध प्रावधानों की सामाजिक उपयोगिता का अध्ययन भी किया हो।

9.1.3.2 पार्टी की न्यायिक परिषदों में एक अध्यक्ष होगा और दो सदस्य होंगे। न्यायिक परिषदें प्रथम अपीलीय निर्णयदाता के रूप में काम करेंगी. याचिकाओं के मामलों पर तीनों द्वारा बहुमत के आधार पर फैसला लिया जाएगा।  न्यायिक परिषद को अपना फैसला 6 महीने या इससे कम अवधि में देना होगा।

9.1.3.3 न्यायिक परिषदों के फैसले के विरुद्ध परिषद की उच्चस्थ इकाई में अपील की जा सकेगी। अंतिम अपील केन्द्रीय न्यायिक परिषद में की जा सकेगी, जिसका फैसला अंतिम होगा। यदि संगठन की केन्द्रीय इकाई या उसके पदाधिकारी किसी मामले में आरोपी है तो ऐसे मामले में अंतिम अपील वैश्विक परिपर्तन मिशन की केन्द्रीय न्यायिक परिषद् में की जायेगी.

9.1.4 अधिवक्ता परिषद-

9.1.4.1   संगठन के संविधान की जानकारी रखने वाले संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों की एक परिषद होगी जिसको अधिवक्ता परिषद कहा जाएगा। अधिवक्ता परिषद के सदस्य विवादों के निपटारे के मामले में पहले सोपान के निर्णयदाता की भूमिका में काम करेंगे। मान्यता प्राप्त विशेषज्ञ में से किसी भी व्यक्ति को विवाद निपटारा के लिए अधिकृत करने का अधिकार याचिकाकर्ता को होगा। याचिका में बनाए गए आरोपी को अधिकृत विशेषज्ञ को मामले में निर्णयदाता के रूप में स्वीकार करना होगा। अधिवक्ता परिषद के संबंधित सदस्य द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध पहली अपील संबंधित कार्यसमिति की न्यायिक परिषद में होगा।

9.1.4.2   अधिवक्ता परिषद के सदस्य के रूप में काम करने का लाइसेंस संबंधित स्तर की कार्यसमिति का अध्यक्ष देगा। अधिवक्ता परिषद के सदस्यों की मान्यता उनकी योग्यता सूची के आधार पर दी जाएगी। संगठन के कानूनी मामलों का जो विशेषज्ञ जितनी अधिक याचिकाओं में अधिकृत किया गया होगा, वह मेरिट सूची में उतना ही ऊपर माना जाएगा।

9.1.4.3   न्यायिक परिषद द्वारा दिया गया फैसला शिक्षण प्रशिक्षण के उद्देश्य से अधिवक्ता परिषद में आलोचना का विषय बन सकता है। किंतु यदि अधिवक्ता परिषद फैसले को दो तिहाई बहुमत से बदल देती है, तब न्यायिक परिषद द्वारा दिया गया फैसला संशोधित माना जाएगा।

9.1.4.4   अधिवक्ता परिषदों का मुख्य कार्य होगा-

9.1.4.4.1  पार्टी के संविधान संशोधन प्रस्ताव तैयार करना,

9.1.4.4.1  न्यायिक परिषद द्वारा याचिका पर दिए गए फैसलों की आलोचना निजी स्तर पर और परिषद के स्तर पर करना,

9.1.4.4.1  संबंधित साधारण सभा की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्यसमिति को न्यायिक परिषद के माध्यम से सलाह देना;

9.1.4.4.1  न्यायिक परिषद में भर्ती होने के लिए आवेदक बनना;

9.1.4.4.1  कार्यसमिति, विकासक और विधायक साधारण सभा और साधारण सभा द्वारा विशेष कार्य के लिए नियुक्त किए जाने पर सेवा शुल्क के बदले सेवाएँ देना और

9.1.4.4.1  साधारण सभा द्वारा पारित विधेयकों की आलोचना निजी स्तर पर या अधिवक्ता परिषद के स्तर पर करना।

9.1.5. न्यायिक परिषद के आदेशों का कार्यान्वयन

9.1.5.1   कानूनी विशेषज्ञ याचिकाओं पर दिए गए अपने आदेशों को कार्यान्वित करने के लिए उच्चस्थ न्यायिक परिषद को प्रेषित कर देंगे। उच्चस्थ न्यायिक परिषद संबंधित स्तर की कार्यसमिति के आदेश को कार्यान्वित करेगी।

9.1.5.1   किसी कार्यसमिति के अध्यक्ष के विरुद्ध न्यायिक परिषद के फैसलों को लागू करने के लिए आवश्यक होगा कि प्रथम व द्वितीय उपाध्यक्ष और महासचिव भी न्यायिक परिषद के फैसले से सहमत हों। आरोपी को केवल एक अपील का अधिकार होगा।

9.1.5.1   कोई निर्णय प्राप्त होने के बाद संबंधित न्यायिक परिषद अपने अधीनस्थ कार्यसमिति के आदेश को 15 दिन के अंदर लागू करने का आदेश जारी करेगी।

9.1.5.1   किसी आदेश को लागू करने का आदेश जारी करते समय संबन्धित स्तर की कार्यसमिति दोषी को उस इकाई में स्थानांतरित करने का आदेश भी दे सकती है, जिसके अध्यक्ष को कोई आपत्ति न हो।

9.1.6      विविध प्रावधान

9.1.6.1   संगठन का कोइ भी पदाधिकारी संगठन के नियमों के ऊपर नहीं होगा. इसलिए किसी भी पदाधिकारी को आरोपी बनाया जा सकता है. आरोपी को नियमानुसार आरोप का जवाब देना होगा और निर्णय का सम्मान करना होगा. निर्णय का सम्मान न करने पर न्यायिक परिषद् अलग से आरोप दर्ज करेगी और अलग से सजा तय देगी.

9.1.6.2   निर्णय प्रक्रिया संबंधी अन्य आवश्यक नियम, सजा संबंधी नियम और निर्णयों को लागू करने संबंधी अन्य नियमों को बनाने का अधिकार केन्द्रीय न्यायिक परिषद् को होगा.

9.1.6.3   न्यायिक परिषद के इस अनुच्छेड के नियमों में संशोधन का अधिकार वैश्विक परिवर्तन मिशन की मंजूरी से केवल केन्द्रीय न्यायिक परिषद् को होगा

9.2          वित्त प्रबंधन परिषदें
9.2.1 आय व्यय का विधिवत और व्यवस्थित व्यवहार रखने के लिए संगठन की एक वित्तीय प्रबंधन परिषद होगी। केंद्रीय समिति के कोषाध्यक्ष के अधीन कार्य करेगी।

9.2.2 सभी स्तरों की सभी कार्य समितियों के कोषाध्यक्ष संबंधित वित्तीय परिषद का अध्यक्ष होंगे।9.2.3 आय और व्यय का विवरण रखना तथा लेखा परीक्षक के लिए संबंधित दस्तावेजों को लेखा परीक्षक के सम्मुख प्रस्तुत करना कोषाध्यक्ष का कार्य होगा।  समिति का कोषाध्यक्ष यह सभी दस्तावेज अप्रैल महीने में यथासंभव प्रथम सप्ताह में अपने समिति के  अध्यक्ष के माध्यम से संगठन के केंद्रीय कोषाध्यक्ष को प्रेषित कर देगा। 9.2.4 वित्तीय परिषद में कुल निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे -1. रोजनामचा अभिरक्षक डे बुक कीपर2. कैशबुक, वाउचर और बिल बुक अभिरक्षक3. लेजर बुक अभिरक्षक4. स्टोर बुक  अभिरक्षक5. संपत्ति बुक अभिरक्षक6. लेखा परीक्षा सहायक

9.2.5 वित्तीय परिषद के पदाधिकारियों की नियुक्ति संबंधित समिति का कोषाध्यक्ष नियमानुसार करेगा।

9.2.6 वित्त प्रबंधन परिषद के लिए अन्य नियमों को बनाने का अधिकार केंद्रीय समिति के कोषाध्यक्ष को होगा।

10. संस्थापक सदस्यों की शक्ति

संगठन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्रीय कमेटी के पास एमजीसी की अनुमति से सामूहिक रूप से निम्नलिखित शक्तियां होंगी-

10.1        संगठन के संस्थापक के पास वाईपीएम के अन्य संस्थापक सदस्यों को नियुक्त करने की विशेष शक्तियां होंगी और वह कार्यालय से दूर अपने दौरों के दौरान अपनी शक्तियों को पूरी तरह से या आंशिक रूप से किसी और को निश्चित समय के लिए प्रत्यायोजित कर सकता है।

10.3        व्यवसाय के संचालन सहित संगठन की सभी परिसंपत्तियों और / या संपत्तियों का प्रबंधन करना;

10.4        कर्मचारियों की नियुक्ति करना और उनकी सेवा, पारिश्रमिक और समाप्ति की शर्तों का निपटान करना;

10.5        संगठन का प्रबंधन देखना।

10.6        संगठन की निधियों को बैंक में या कंपनी के शेयरों या प्रतिभूतियों या अन्य चल और अचल संपत्तियों की खरीद में निवेश करना।

10.7        संगठन के नाम पर और उसकी ओर से बैंक खाते खोलना और एमजीसी की अनुमति से अपने प्रतिनिधियों के माघ्यम से खाते का संचालन करना।

10.8        संगठन की संपत्तियों के संबंध में देय सभी शुल्कों, अधिरोपणों और अन्य आउटगोइंग का भुगतान करना और वाईपीएम संपत्तियों का प्रशासन और प्रबंधन करना और सभी आकस्मिक लागतों का भुगतान करना।

10.9        संगठन की ओर से मुकदमा दायर करने के लिए और संगठन की संपत्तियों संबंधी सभी कार्यों, कार्यवाहियों और विवादों में मध्यस्थता करना और दायर किए गए वादों से समझौता करना।

10.10     जब भी आवश्यक हो; वकीलों और/या चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की कानूनी राय लेना।

10.11     उपर्युक्त प्रयोजनों में से किसी के लिए अपने प्रतिनिधियों को नामित करना।

10.12     किसी भी उपहार, दान, योगदान, अनुदान सार्वजनिक ऋण या सदस्यता को नकद में या किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों या संगठन के निकाय से, शर्तों के साथ या बिना किसी शर्त के स्वीकार करना।

10.13     संगठन की संपत्तियों को संगठन के विवेक पर समय-समय पर ऐसे निवेशों को बदलना, भिन्न करना या स्थानांतरित करना।

10.14     धन उधार लेना।

10.15     संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए और उसके मामलों के प्रबंधन के लिए और / या वाईपीएम के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए और अन्यथा संगठन के उद्देश्यों को प्रभावी बनाने के लिए योजनाओं, नियमों और विनियम को बनाना, बदलना या संशोधित करना।

11. ब्यूरो के सदस्यों के कर्तव्य

11.1        ब्यूरो के सदस्य संगठन की नियमावली के संविधान की बुनियादी संरचना की रक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे।

11.2        अपने समर्पण, त्याग व बलिदान, अपनी जीवन शैली, चरित्र और आदर्शों के बल से ब्यूरो के सदस्य वाईपीएम फंड के संवर्धन के लिए दान देने वाले व्यक्तियों और संस्थानों को दान देने और निवेश करने के लिए प्रेरित करेंगे।

11.3        संगठन को सही दिशा और सही परिप्रेक्ष्य में चलाने के लिए वाईपीएम के ब्युरो के सदस्य निडरता और बिना लोभ व लालच के काम करेंगे।

11.4        ब्यूरो की गतिविधियों को सुचारू और सुविधाजनक बनाना।

11.5        ब्यूरो के सदस्य अच्छी तरह से सुसज्जित कार्यालय प्राप्त करने और उपयोग करने के हकदार होंगे।

11.6        संगठन के ब्यूरो के सदस्यों की गरिमा बनाए रखने के लिए प्रत्येक सदस्य ब्यूरो छोड़ने के बाद भी पर्याप्त मानदेय प्राप्त करने का हकदार होगा। जैसा कि संगठन के संस्थापक द्वारा तय किया जाये।

11.7        भत्ते की राशि दुनिया की प्रति व्यक्ति प्रति मतदाता औसत आय की सीमा के भीतर तय की जाएगी।  संगठन के बोर्ड सदस्यों द्वारा इस राशि को बढ़ाया जा सकता है।

11.8        संगठन के समितियों और उप समितियों की बैठक में संगठन का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी व्यक्ति को नामित करना।

11.9        संगठन के ब्यूरो के नए सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति की भर्ती करना या ब्यूरो की कुल सदस्य संख्या के तीन-चैथाई बहुमत से ब्यूरो के किसी वर्तमान सदस्य की सदस्यता समाप्त करना।

12. बोर्ड सदस्यों के कर्तव्य

12.1        बोर्ड सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति के प्रवेश के प्रस्ताव को शुरू करना।

12.2        संगठन की निधि के संवर्धन के लिए काम करना व अनुदान देना।

12.3        ब्यूरो के सदस्यों को संगठन के उद्देश्यों के लिए प्रभावी ढंग से काम करने के लिए संसाधन प्रदान करना।

13. विविध प्रावधान

13.1        केन्द्रीय समिति के सदस्यों में से कोई भी सदस्य संगठन की केन्द्रीय कमेटी के अध्यक्ष/प्रमुख महासचिव को लिखित में एक महीने का नोटिस देने पर सेवानिवृत्त हो सकता है।

13.2        यदि केन्द्रीय समिति का कोई सदस्य मर जाता है या सेवानिवृत्त हो जाता है या कार्य करने में असमर्थ या अयोग्य हो जाता है, तो केन्द्रीय समिति  के वर्तमान सदस्य सामूहिक रूप से ऐसे रिक्त स्थान पर एक उत्तराधिकारी नियुक्त करेंगे।

13.3        संगठन के निधि को संगठन के उद्देश्यों में निर्दिष्ट लोगों के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग  नहीं किया जाएगा।

13.4        संगठन का लेखा वर्ष उसी वर्ष 31 मार्च को समाप्त होने वाला वित्तीय वर्ष होगा।

  1. बैंकिंग खाता

वाईपीएम के साधारण प्रयोजनों के लिए सभी आय, सदस्यता राशि और आर्थिक दान और समय-समय पर आय, निवेश और अन्य सभी धन जो संगठन के सामान्य राजस्व और कॉर्पस फंड का निर्माण करते हैं, उनका भुगतान संगठन के उस खाते/ खातों में किया जायेगा, जिसे संगठन द्वारा किसी भी अनुसूचित बैंक में खोला जाएगा। किसी भी अनुसूचित बैंक और / या डाकघर में खोले गये बैंक खातों को संयुक्त रूप से या एक या एक से अधिक केन्द्रीय कमेटी के सदस्यों द्वारा संचालित किए जाएंगे।

15 कोष-

संगठन के सदस्य किसी भी व्यक्ति, भारत सरकार, भारत संघ के प्रांतों की सरकारों और स्थानीय अधिकारियों या किसी अन्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कल्याणकारी संस्थानों और वित्त पोषण एजेंसियों से दान, अनुदान, सदस्यता, सहायता या योगदान स्वीकार कर सकते हैं। लेकिन सदस्य वाईपीएम या एमजीसी के उद्देश्यों के साथ असंगत किसी भी शर्त या शर्तों के साथ किसी भी  अनुदान को स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे अनुदानों के लिये आवेदन करते समय आवेदनकर्ता अनुदानकर्ता और एमजीसी द्वारा नियत निर्देशों का, यदि कोई हो, अनुपालन व सम्मान करेंगे।

16. लेखा और लेखा परीक्षा

16.1        केन्द्रीय समिति के सदस्य वाईपीएम की सभी परिसंपत्तियों, देनदारियों और आय और व्यय के खाते की उचित पुस्तकें / लेखा-जोखा रखेगा और मार्च के अंतिम दिन के रूप में प्रत्येक वर्ष के लिए एक आय और व्यय खाता और बैलेंस शीट तैयार करेगा।

16.2        प्रत्येक वर्ष के खातों की लेखा परीक्षा एक चार्टर्ड अकाउंटेंट या चार्टर्ड अकाउंटेंट की एक फर्म द्वारा की जाएगी, जिसे केन्द्रीय कमेटी के सदस्यों द्वारा उस उद्देश्य के लिए नियुक्त किया जाएगा और लेखा परीक्षा किये गये खातों को संस्थापक सदस्यों की बैठक में रखा जाएगा, जो अगले वर्ष के अंत से पहले आयोजित किया जाएगा।

16.3        चार्टर्ड अकाउंटेंट बैलेंस शीट तैयार करके आय व्यय का ब्योरा एमजीसी को यथासंभव अप्रैल के महीेने में सौंप देंगे, जिससे एमजीसी द्वारा लेखा परीक्षा के कार्य को अंतिम रूप से सम्पादित किया जा सके।

17. नियम और विनियम बनाने और संगठन के नियमों में संशोधन करने के लिए दिशा निर्देश

संगठन के सभी नियमों और विनियमों को बनाने के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देशों पर विचार किया जाएगा। ये दिशानिर्देश संगठन के संविधान की मूल संरचना होगी। ब्यूरो के सदस्यों के तीन-चैथाई बहुमत द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों का बोर्ड वाईपीएम के नियमों और विनियमों के प्रावधानों में संशोधन करने हकदार होगा। इस प्रकार किये गये संशोधनों का अनुमोदन/संशोधन के साथ अनुमोदन एमजीसी द्वारा किया जायेगा। इसके बाद ही संशोधन प्रभाव में आ सकेगे। ये बिंदु इस प्रकार हैं

17.1        सभी संशोधन वाइपीएम या / और एमजीसी के उद्देश्यों को लागू करने की नियति से प्रेरित होंगे।

17.2        वाईपीएम के नियमावली में संशोधन एमजीसी के उद्देश्यों को धरती पर उतारने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए; ताकि इस संगठन के उद्देश्यों, भारत के वर्तमान संविधान की प्रस्तावना और संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के आदर्शों को प्राप्त किया जा सके।

17.3        संशोधन वाईपीएम निधि के संवर्धन के लिए दानदाताओं को आकर्षित करने की नियति से प्रेरित होना चाहिये।

17.4        संशोधन इस नियति से प्रेरित हो सकेंगे, जिससे वाईपीएम उन व्यक्तियों, संस्थानों के लिए वित्त पोषण और प्रशासनिक एजेंसी के रूप में काम कर सकें, जो संगठन के या/ और एमजीसी के उद्देश्यों के लिए काम कर रहे हैं।

17.5        ऐसा कोई भी संशोधन स्वीकार्य नहीं हो सकेगा, जो संगठन के किसी भी सदस्य या पदाधिकारी के व्यक्तिगत हित के पक्ष में वाईपीएम निधि का उपयोग करने के लिये किया गया हो या संगठन के या एमजीसी के हितो के विरु़द्ध किया गया हो।

18. प्रकोष्ठों और मोर्चों संबंधी नियम

18.1 वाईपीएम के प्रकोष्ठों और मोर्चों की सूची इस नियमावली के नियम क्रमषः 5.2 और 5.3 के अनुरूप होगी।

18.2 नये प्रकोष्ठ व मोर्चे बनाने और चल रहे प्रकोष्ठ को भंग करने का अधिकार संगठन की केन्द्रीय समिति को होगा।

18.3 संगठन के प्रकोष्ठों व मोर्चों की इकाइयां निम्नलिखित स्तरों पर गठित की जायेंगी-

1. अखिल भारतीय स्तर
2. राज्य स्तर
3. मंडल स्तर
4. जिला स्तर
5. तहषील स्तर
6. सेक्टर/न्याय पंचायत स्तर

18.4 संगठन प्रकोष्ठों व मोर्चों की विविध स्तर की प्रबंध समितियों में पद व कार्यकाल निम्नवत होंगे-

1. अघ्यक्ष                         4 वर्ष
2. वरिष्ठ उपाध्यक्ष            4 वर्ष
2. महासचिव                   4 वर्ष
4. सचिव                         4 वर्ष
5. कोषाघ्यक्ष                   4 वर्ष
6. प्रवक्ता                       4 वर्ष

18.5 संगठन के प्रकोष्ठों और मोर्चों कार्य समितियों में अघ्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और कोषाघ्यक्ष के एक-एक पद होगे। सचिवों और प्रवक्ताओं की संख्या संबंधित कार्य समिति के महासचिव के विवेकानुसार होगी।

19. विषेष प्रावधान- केन्द्रीय संमिति द्वारा बनाये गये नये नियमों कीे इस अनुच्छेद मे दर्ज किया जायेगा।

20. बैठकों संबंधी नियम

20.1   बैठकों की सूचना- सभी बैठकों की सूचना निम्नलिखित तरीके से दी जा सकेगी-

20.1.1    पोस्टिंग या ई-मेल के प्रमाण पत्र के तहत डाक के माध्यम से संबंधित सदस्य को नोटिस भेजकर।

20.1.2    संबंधित सदस्य को नोटिस के परिसंचरण द्वारा या

20.1.3    किसी भी स्थानीय दैनिक समाचार पत्र में नोटिस के प्रकाशन द्वारा

20.1.4    यह उपबंध करते हुए कि जब उक्त किसी नियम का पर्याप्त रूप से अनुपालन किया गया हो, तो किसी सदस्य को नोटिस प्राप्त न होने या सूचना की कमी बैठक की कार्यवाहियों को अनियमित नहीं करेगी या बैठक में पारित किसी प्रस्ताव की वैधता को प्रभावित नहीं करेगी।

20.1.5    केन्द्रीय केमटी के सदस्य समय-समय पर संस्थापक सदस्यों की बैठकों के संचालन और विनियमों के लिए नियम बना सकते हैं। ऐसे विनियमों के अभाव में –

20.1.6 केन्द्रीय प्रबंधन समिति के दो सदस्य समिति के सदस्यों की बैठक के लिए कोरम बनाएंगे।

20.1.7 सभी मामलों का निर्णय केन्द्रीय प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाएगा।

20.1.8 यदि कोई प्रस्ताव केन्द्रीय प्रबंधन समिति के बिना परति होता है, किन्तु उसका परिसंचरण समिति के सभी सदस्यों के बीच कराया जाता है और प्रस्ताव के समर्थन में समिति के सदस्यों के दो तिहाई सदस्य लिखित रूप में हस्ताक्षर करके प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। तो इस प्रकार प्रमाणित किया गया प्रस्ताव उसी प्रकार से प्रभावी होगा- जैसे कि केन्द्रीय प्रबंधन समिति के बैठकों में पारित प्रस्ताव प्रभावी होते हैं।

20.2. बैठक में मतदान

बैठक के सभी मामलों को उसमें उपस्थित सदस्यों के बहुमत से पारित किया जाएगा। बैठक में उपस्थित ब्यूरो और बोर्ड के सभी सदस्यों को बैठक में एक वोट देने का अधिकार होगा। बैठक में अध्यक्षता करने वाले अध्यक्ष की अनुमति से प्रत्येक प्रश्न पर प्रॉक्सी द्वारा एक वोट का प्रयोग करने का अधिकार होगा। अध्यक्ष विधिवत हस्ताक्षरित प्रॉक्सी पत्र दाता की ओर से वोट डालने के लिए प्रॉक्सी पत्र धारक को अनुमति देगा। प्रॉक्सी वोट को वैध माना जाएगा जैसे कि बैठक में प्रॉक्सी दाता द्वारा स्वयं / स्वयं वोट डाला गया था। वोटों की इक्विटी की स्थिति में, बैठक में अध्यक्षता करने वाले अध्यक्ष के पास वोट डालने के लिए दूसरा वोट होगा, चाहे उसने पहले प्रश्न पर मतदान किया हो या नहीं।

20.3 बैठक की कार्यवाही के रिकॉर्ड

केन्द्रीय समिति का सचिव समिति की बैठक की कार्यवाही के रिकॉर्ड के रूप में एक अलग रजिस्टर (मिनट बुक) रखेगा। प्रत्येक बैठकों के कार्यवृत्त के लिए एजेंडा रजिस्टर के रिकॉर्ड के रूप में वह एक अलग रजिस्टर (एजेण्डा बुक) भी बनाएगा। बैठक में उपस्थित प्रत्येक सदस्य की उपस्थिति रजिस्टर में नोट की जाएगी और उसके नाम के आगे उसके हस्ताक्षर प्राप्त किए जाएंगे। वाईपीएम के लिए जो कार्यवाही रजिस्टर रखा जाएगा और उसमें निम्नलिखत तत्व शामिल होंगे-

1)            संस्थापक सदस्यों की बैठकों में कार्यवाही की एक स्पष्ट रिपोर्ट।

2)            पिछली बैठक कीं कार्यवाही रिपोर्ट अगली बैठक में सदस्यों के सामने पढ़ी जाएगी और पुष्टि की जाएगी।  मतभेद की स्थिति में बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से संशोधन के साथ गत बैठक की कार्यवाही रिपोर्ट की पुष्टि की जायेगी और बैठक के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।

20.4. बैठक का कोरम

पदाधिकारियों सहित एक तिहाई सदस्य बैठकों के लिए कोरम बनाएंगे। लेकिन कोरम के अभाव में दो बार बैठक स्थगित की जा चुकी है तो तीसरी बैठक के लिए कोई कोरम आवश्यक नहीं होगा।

20.5. साधारण और विशेष बैठकें

केन्द्रीय समिति के सदस्य प्रत्येक तीन महीने के बाद कम से कम एक बैठक आयोजित करेंगे। इन बैठकों को साधारण बैठक कहा जाएगा। वाईपीएम आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त बैठक भी आयोजित कर सकता है। इस तरह की बैठक को विशेष बैठक कहा जाएगा। ऐसी साधारण और विशेष बैठकें ऐसे समय और स्थान पर आयोजित की जाएंगी जो केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष निर्धारित करें।

20.6. बैठकों का परिपत्र

एक नियमित या औपचारिक या तत्काल प्रकृति के कार्य के किसी भी मामले को केन्द्रीय समिति के सदस्यों की बैठक के बिना परिपत्र द्वारा तय किया जा सकता है। बशर्ते कि यह केन्द्रीय समिति के सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से किया जाय। विचारों के मतभेद के मामले में, इस तरह के प्रश्न को केन्द्रीय समिति के सदस्यों की अगली बैठक में निपटाया जाएगा।

21. आय व्यय का लेखा जोखा और बैंक खाते

1. वाईपीएम का लेखा वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होगा।

2. केन्द्रीय प्रबंध समिति के अध्यक्ष वाईपीएम संपत्तियों और इसकी आय-व्यय के नियमित खातों का रिकार्उ रखेंगे। या यह रिकार्उ रखने के लिये किसी उपयुक्त पदाधिकारी को आदेश देगे। खातों को भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के प्रावधानों के अनुसार अॉडिट कराएगा। अध्यक्ष खातों के आडिट के लिये जिन रजिस्टरों को रखने का आदेश देगा, उन रजिस्टरों की सूची इस प्रकार है-

3. दिन की किताब

4. कैश बुक

5. खाता बही

6. दान बुक (चल पूर्ण विवरण वाली प्रविष्टि)।<

7. रसीदें बुक

8. चल और अचल संपत्तियों वाली बुक, जिनमें पूर्ण विवरण और उसका मूल्य होता है।

9. निवेश की सूची वाली बुक, यदि कोई हो,

10. परिस्थितियों की मांग के रूप में अन्य पुस्तकें।

22. दस्तावेजों की अभिरक्षा

केन्द्रीय प्रबंध समिति के अध्यक्ष संगठन से संबंधित सभी दस्तावेजों को अपनी हिरासत में रखेगा। संगठन की मिनट बुक, टाइटल डीड, संपत्ति संबंधी दस्तावेज, रसीद बुक, और वाईपीएम से संबंधित ऐसे अन्य रिकॉर्ड अध्यक्ष उस स्थान पर और उस पदाधिकारी के माध्यम से रखेगा जिसे वह उपयुक्त और उचित समझता है।

23. दान प्राप्त करने संबंधी नियम

केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्यों को शर्तों के साथ नकद या वस्तु में दान प्राप्त करने का अधिकार होगा। हालांकि, सदस्य यह देखेंगे कि दान की शर्तें वाईपीएम के उद्देश्यों के अनुरूप हैं या नहीं। आयकर विभाग द्वारा अधिकृत किये जाने पर दान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 जी के तहत छूट दी जाएगी।

24. समितियों की नियुक्ति करने की शक्ति –

केन्द्रीय प्रबंध समिति के अध्यक्ष को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए समय-समय पर समितियों और उप-समितियों का गठन करने और इन समितियों के सदस्यों को नियुक्त करने और भंग करने का अधिकार होगा।

25. कर्मचारी की नियुक्ति करने की शक्ति-

वाईपीएम के केन्द्रीय प्रबंध समिति के अध्यक्ष को संगठन के कायों के सम्पादन के लिये कर्मचारियों को नियुक्त करने की शक्ति होगी। अघ्यक्ष कर्मचारियों को सम्मान के आधार पर या वेतन, मजदूरी, यात्रा भत्ता आदि के आधार पर ऐसे नियमों और शर्तों के आधार पर नियुक्त करेगा जैसा कि वह उचित समय-समय पर वह ठीक समझो। किसी भी नौकर या कर्मचारियों को बर्खास्त या हटाने की शक्ति भी अध्यक्ष के पास होगी।

26. केन्द्रीय समिति के सदस्यों की देयताएं –

केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्य अपने द्वारा स्पष्ट रूप से किए गए कार्यों और कर्मों के लिए उत्तरदायी होंगे। प्रत्येक सेवानिवृत्त होने वाले या पद से किसी भी कारण हटने वाले सदस्य की जिम्मेदारी होगी कि वह वाईपीएम की संपत्ति को नए सदस्य के नाम पर या समिति द्वारा अधिकृत पदाधिकारी के नाम पर स्थानांतरित कर दे।

27. केन्द्रीय समिति के सदस्यों की प्रतिपूर्ति-

केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्य और अन्य पदाधिकारी वाईपीएम के खाते से उस धनराशि को प्राप्त करने के अधिकारी होगे जो धनराशि उन्होने अपनी जेब से संगठन के कार्यों के लिए खर्च किया होगा। इस संबंध में  केन्द्रीय प्रबंध समिति के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।

28. एकीकरण

केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्य वाईपीएम को किसी भी समय एमजीसी के साथ देश में मौजूद नियमों के अनुसार विलय कर सकते है।

29. विघटन

वाईपीएम के विघटन या समापन की स्थिति में, विघटन की तारीख तक शेष परिसंपत्तियों को किसी भी परिस्थिति में केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्यों के बीच वितरित नहीं किया जाएगा। परिसंपत्तियों को एमजीसी को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

उक्त नियमावली को हस्ताक्षर करके निम्नलिखित लोग आत्मार्पित करने की घोषणा करते हैं-

नाम                                          हस्ताक्षर             तारीख               आधार कार्ड नम्बर व छाया


यदि आप उक्त नियमावली में कुछ परिवर्तन चाहते हैं अथवा कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो निम्न फॉर्म भरकर भेजें.