विश्व परिवर्तन मिशन

27 देशों का यूनियन बनाकर यूरोपीय समाज सभ्य बन सकता है,

तो दक्षिण एशियाई देशों के लोग अपना यूनियन बनाकर

सभ्य और समृद्ध क्यों नहीं बन सकते?

अखंड भारत के प्रेरणा स्रोत

डॉ राम मनोहर लोहिया

“इतिहास ने यह सिद्ध किया है कि भारत पाकिस्तान का विभाजन कृत्रिम आधारों पर हुआ है।

इसलिए इन देशों को फिर से मिलकर एक “महासंघ” बन जाना चाहिए।

महर्षि अरविन्द

15 अगस्त से एक दिन पूर्व 14 अगस्त 1947 को महर्षि अरविन्द ने रेडियो तिरुचापल्ली को राष्ट्र के नाम दिए सन्देश में कहा था “यह स्वतंत्रता तब तक अधूरी मानी जायेगी जब तक भारत भूमि की अखंडता को पूर्ण नहीं बनाया जाएगा। यह राष्ट्र अविभाजित है और इसे कभी भी खंडित नहीं किया जा सकता है। “

लोकनायक जयप्रकाश नारायण

“हम सब अर्थात् भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश इन तीनों देशों में रहने वाले लोग वस्तुत: एक ही राष्ट्र भारत के वासी हैं। हमारी राजनीतिक इकाइयां भले ही भिन्न हों, परंतु हमारी राष्ट्रीयता एक ही रही है और वह है भारतीय।”

जिए सिंध के प्रणेता गुलाम मुर्तजा सैयद

मौलाना आज़ाद और ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान विभाजन के सबसे बड़े विरोधी थे और उन्होंने इसके ख़िलाफ़ पुरज़ोर तरीक़े से आवाज़ उठाई थी, लेकिन उनके अलावा इमारत-ए-शरिया के मौलाना सज्जाद, मौलाना हाफ़िज़-उर-रहमान, तुफ़ैल अहमद मंगलौरी जैसे कई और लोग थे जिन्होंने बहुत सक्रियता के साथ मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया

ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान

मौलाना आज़ाद और ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान विभाजन के सबसे बड़े विरोधी थे और उन्होंने इसके ख़िलाफ़ पुरज़ोर तरीक़े से आवाज़ उठाई थी, लेकिन उनके अलावा इमारत-ए-शरिया के मौलाना सज्जाद, मौलाना हाफ़िज़-उर-रहमान, तुफ़ैल अहमद मंगलौरी जैसे कई और लोग थे जिन्होंने बहुत सक्रियता के साथ मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया

न्यायमूर्ति मोहम्मद करीम छागला

“मुझे वास्तविक शिकायत यह है कि राष्ट्रवादी मुसलमानों के प्रति न केलव कांग्रेस अपितु महात्मा गांधी भी उदासीन रहे। उन्होंने जिन्ना एवं उनके सांप्रदायिक अनुयायियों को ही महत्व दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि यदि उन्होंने हमारा समर्थन किया होता तो हम जिन्ना की हर बात का खंडन कर देते और विभाजनवादी आंदोलन के आरंभ काल में पर्याप्त संख्या में मुसलमानों को राष्ट्रवादी बना देते।”

दीन दयाल उपध्याय

दीनदयाल उपाध्याय ने 1962 में डॉ राम मनोहर लोहिया के साथ संयुक्त हस्ताक्षर से एक बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि इतिहास ने यह सिद्ध किया है कि भारत पाकिस्तान का विभाजन कृतिम आधारों पर हुआ है। इसलिए इन देशों को फिर से मिलकर एक “महासंघ” बन जाना चाहिए।

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अखंड भारत पर साहित्य

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दक्षिण एशियाई क्षेत्र में देशों की संख्या अनेक है, लेकिन राष्ट्रीयता एक है।

हिंदुस्तान का विभाजन न तो हिंदुओं के लिए फायदेमंद साबित हुआ, न मुसलमानों के लिये।

न भारत के लिए फायदेमंद साबित हुआ, न पाकिस्तान के लिये।

देर से ही सही, गलती सुधार कर महासंघ बनाना आज की अनिवार्यता है

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