भारत में दक्षिणपंथी संगठनों के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सबसे बड़ा संगठन माना जाता है। इस संगठन की औपचारिक स्थापना तो सन 1925 में हो गई थी। किंतु इसका संगठन के विस्तार 1980 के दशक में 50 साल बाद हुआ। अंग्रेजों द्वारा भारत छोड़ने के बाद जब भारत पाकिस्तान का विभाजन कराया गया तो इस विभाजन के विरुद्ध बहुत से संगठनों ने आवाज उठाई। किंतु संघ ने इस विभाजन के विरुद्ध सबसे बड़ा संगठन खड़ा कर दिया, जो बाद में भारत की सत्ता हथियाने में भी कामयाब रहा।
संघ ने भारत के विभाजन को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद अली जिन्ना की व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षा को जिम्मेदार माना। इस संगठन ने विभाजन के लिए अंग्रेजों को जिम्मेदार नहीं माना, जैसा कि अन्य संगठन मानते रहे। अपनी संगठनात्मक कला, त्याग की भावना, समावेशी दृष्टिकोण, दीर्घकालिक रणनीति और धैर्य आदि कारणों से यह संगठन भारत का सबसे बड़ा संगठन बना। इसने शुरू से ही यह आवाज उठाई कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली जिस कांग्रेसमें संयुक्त हिंदुस्तान को खंड खंड किया गया, उस कांग्रेस को सत्ता से हटाए बिना सुधार का कोई रास्ता प्रशस्त नहीं होता।
संघ ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने मुसलमानों का तुष्टिकरण किया और मुस्लिम वोट बैंक लेने के लिए मुसलमानों के हर अंधविश्वास का पालन पोषण किया। इस संगठन ने मुसलमानों के अंधविश्वास को बाकी भारतीय लोगों के लिए भविष्य का सबसे बड़ा खतरा बताया। इस खतरे को रोकने के लिए इस संगठन ने भारत के युवकों को युद्ध कला सीखने और त्याग करने के लिए आह्वान किया। 80 के दशक तक इस संगठन का जनाधार नहीं बढ़ पाया। किंतु सत्ताधारी दल कांग्रेस के सत्ता में रहने के कारण जो कमजोरियां सामने आने लगी, उन कमजोरियों को इस संगठन ने सुबूत के तौर पर जनता के सामने पेश करना शुरू किया। संघ ने कहा कि कांग्रेस हिंदू संस्कृति और सभ्यता के लिए खतरा है। इस प्रकार इस संगठन ने इस्लामिक अंधविश्वास और कांग्रेश दोनों के विरुद्ध जनमत खड़ा किया। इस संगठन के प्रशिक्षित लोग सन 1999 में दूसरे दलों के साथ गठबंधन करके सत्ता तक पहुंचने में कामयाब हुए और सन 2014 में पूरी तरह से कांग्रेस को उखाड़ कर सत्ता को कब्जा कर लिया।
अब संघ का भारत में सबसे बड़ा नेटवर्क है जो यह सपना देख रहा है कि नेहरू और जिन्ना ने जो कुछ गलत किया था, अब उसको ठीक करने का वक्त आ गया है। यानी खंड खंड हिंदुस्तान को अखंड भारत बनाने का वक्त आ गया है। क्योंकि संघ के कैडर अब स्वयं भारत की सत्ता की बागडोर संभाले हुए हैं। इसलिए अब संघ की आवाज सत्ता की आवाज भी बन गई है। संघ ने विधिवत अखंड भारत के लिए अपनी एक शाखा बना रखा है। जो लगातार इस बात के लिए गत लगभग सात दशकों से प्रयास कर रहा है कि अखंड हिंदुस्तान बनाया जाए और हिंदुस्तान के इतिहास के गौरव को वापस लाया जाए। किंतु इस कार्य में यूरोपियन राष्ट्रवाद का विचार बाधा है।