रिफंडेबल डोनेशन रिसीट RDR योजना के तहत जिन लोगों को कंपनियों में और सरकार में रोजगार नहीं प्राप्त होगा, उनको प्रेरित किया जाएगा कि वह है किसी न किसी सामाजिक संगठन या किसी न किसी अपनी मनपसंद राजनीतिक पार्टी से जुड़ कर काम करें और अपने काम के बदले में वेतन प्राप्त करें। अखंड भारत बनाने के लिए तमाम राजनीतिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों की जरूरत पड़ेगी। यह सभी संगठन और राजनीतिक पार्टियां युवकों और युवतियों को रोजगार देने का जरिया बनेगी जिनको काम के बदले भुगतान किया जाएगा।
सामाजिक और राजनीतिक कार्य के बदले भुगतान करने के लिए कई उपाय अपनाए जाएंगे। सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से समाज को प्रेरित किया जाएगा कि लोग केवल उन्हीं कंपनियों से बनी सामान बाजार से खरीदें जिन कंपनियों के संचालक अपनी आय का और अपनी कंपनी की आय का कुछ अंश अखंड भारत के निर्माण में खर्च करने के लिए तैयार हों। जो तैयार न हों, उनकी सामान तो खरीदें और न अपनी दुकान पर बेचें। इन कंपनियों के सामान की बिक्री से और उस बिक्री में बढ़ोतरी से जो अतिरिक्त आय कंपनी को होगी उसी का एक हिस्सा प्राप्त करके सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उनके काम के बदले वेतन दिया जाएगा।
अखंड भारत के लिए काम करने वाले संगठन और राजनीतिक पार्टियां सामूहिक रूप से कुछ कंपनियां स्वयं संचालित कर सकते हैं और घरेलू उपभोग की वस्तुओं को उन कंपनियों में पैदा कर सकते हैं। इन वस्तुओं को बेचने के लिए अपने क्षेत्र के दुकानदारों से संपर्क करके वस्तुओं के विक्रय करवा सकते हैं। इस प्रकार वस्तुओं के विक्रय से प्राप्त आय का लगभग 100% सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को वेतन देने पर खर्च किया जाएगा।
सामाजिक और राजनीतिक काम करने वाले कार्यकर्ताओं के माध्यम से देश के श्रमिकों में जागरूकता पैदा की जाएगी और उनको यह बताया जाएगा कि किस प्रकार बेरोजगार श्रमिक दूसरे बेरोजगार श्रमिक के वेतन को कम कराने की पतनस्पर्धा में लगा है। सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता श्रमिकों को प्रेरित करेंगे कि रोजगार प्राप्त करने के लिए वह संगठनों के जैसे मंच में अपना पंजीकरण कराएं, जो अखंड भारत बनाने के लिए और अन्य सामाजिक और आर्थिक तथा राजनीतिक सुधारों के लिए काम करने वाले संगठनों के द्वारा सामूहिक रुप से बनाया जाए। श्रमिकों को प्रेरित किया जाएगा कि वह सीधे जाकर किसी कंपनी में रोजगार प्राप्त न करें। अपितु अपने रोजगार देने वाली संस्था के माध्यम से ही किसी कंपनी में या किसी रोजगार देने वाले संस्थान में काम करने के लिए जाएं। ऐसा करने से उनके हितों की रक्षा उनका अपना संगठन कर सकेगा। श्रमिकों को रोजगार देने वाली अपनी संस्था से जो आर्थिक लाभ प्राप्त होगा, उसका छोटा सा हिस्सा वह इस संस्था को दे सकते हैं, जिससे यह संस्था अपना काम कर पाएगी और सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को इसी पैसे से वेतन भी दिया जा सकेगा। जिन कंपनियों में काम करने के लिए श्रमिकों की जरूरत होगी, उन कंपनियों में श्रमिकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के एवज में भी कंपनियों से कुछ सेवा शुल्क लिया जा सकेगा और यह शुल्क सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को वेतन देने के लिए आय का जरिया बनेगा।
सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से जुड़े हुए कार्यकर्ता समाज के लोगों को इस बात के लिए तैयार करेंगे कि वह अपनी आमदनी और अपनी बचत का पैसा केवल उसी बैंकों में जमा करें और ब्याज प्राप्त करें जो बैंक अखंड भारत बनाने के लिए और अन्य विश्वस्तरीय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के लिए अपनी आय का कुछ हिस्सा देने को तैयार हों। बैंकों से प्राप्त यह आय सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को वेतन देने के लिए खर्च किया जाएगा। न्यायप्रिय राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था बनाने के लिए काम करने वाले सामाजिक और राजनीतिक संगठन सामूहिक रूप से अपनी बैंक भी चला सकते हैं और उस बैंक से प्राप्त आय का लगभग 100% सामाजिक राजनीतिक कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं के वेतन पर खर्च किया जा सकता है।
जब सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को वेतन मिलने लगेगा या भविष्य में वेतन प्राप्त होने का विश्वास हो जाएगा तो इन कार्यकर्ताओं के सामूहिक प्रयत्नों से कोई राजनीतिक पार्टी या कुछ राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब हो सकता है। सरकार बनने पर इन कार्यकर्ताओं की सरकार उन कानूनों में सुधार करेगी, जो सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को वेतन देने में बाधक होंगे। अर्थव्यवस्था मे सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के कार्य को सकल घरेलू आय को बढ़ाने वाला कार्य माना जाएगा। इस बढ़े हुए उत्पादन के बदले करेंसी नोट की मात्रा बढ़ाकर निर्गमित की जाएगी। इस प्रकार सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र के बदले पैदा हुई करेंसी नोट को सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं के वेतन पर खर्च किया जाएगा, इसके लिए आवश्यक कानूनों का निर्माण किया जाएगा।
उक्त उपायों को अपनाने के बावजूद यदि सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को वेतन देने के लिए धन की कमी पड़ेगी तो वित्त विधायकों द्वारा सरकारी खजाने से इस कमी को पूरा करके सभी सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को वेतन दिया जा सके-इसका प्रयास किया जाएगा।
सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को जब वेतन देने का कार्य शुरू हो जाएगा तो अधिकांश बेरोजगार लोगों को रोजगार प्राप्त हो जाएगा। इसके बाद कोई व्यक्ति अपवाद स्वरूप ही बेरोजगार होगा।
वोटरशिप कानून से आर्थिक तंगी का खात्मा कैसे होगा?
वोटरशिप का कानून सोने में सुहागा का काम करेगा। अखंड भारत बनने के बाद सभी देश अपने रक्षा बजट में बड़ी कटौती कर पाएंगे और इस प्रकार रक्षा बजट से बचा हुआ पैसा वोटरशिप कानून के माध्यम से सीधे वोटरों के खाते तक पहुंचा पाएंगे। दक्षिण एशियाई सरकार बनने के बाद यद्यपि अधिकांश लोगों को रोजगार मिल जाएगा। फिर भी यदि किसी को रोजगार प्राप्त नहीं होता है तो उसे वोटरशिप के प्रस्तावित कानून से हर महीना कई हजार रुपए सरकारी खजाने से मिलने लगेंगे। एशियाई देशों के जो नागरिक सीधे दक्षिण एशियाई नागरिकता प्राप्त कर लेंगे, उनको दक्षिण एशियाई सरकार वोटरशिप का पैसा सीधे अपने खजाने से भेजेगी। यह रकम देशों के नागरिकों को प्राप्त हो रही वोटरशिप की रकम से निश्चित रूप से अधिक होगी। वोटरशिप की रकम प्राप्त करने के लिए सभी देशों के नागरिक दक्षिण एशियाई सरकार बनाने के लिए अपने स्वभाव में और अपनी आदतों में आवश्यक सुधार और परिवर्तन करेंगे।अब वह मीडिया द्वारा दूसरे देशों से युद्ध करने के लिए भड़काये जाने पर और उकसाये जाने पर युद्ध उन्मादी नहीं बनेंगे और अपने अपने देश की सरकार को अखंड भारत बनाने के रास्ते पर चलने के लिए दबाव बनाएंगे।