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भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका की अब बन जाएगी एक करेंसी नोट

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अखंड भारत की सरकार बनने के बाद व्यापारियों को केवल अखंड भारत की सरकार में ही अपना पंजीकरण कराना होगा। सभी देशों में पंजीकरण के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। दक्षिण एशियाई वतन की सरकार ही इन व्यापारियों को सुरक्षा की गारंटी भी देगी। अगर व्यापारी की पूंजी कहीं फंसती है तो दक्षिण एशियाई वतन के सभी देशों में एक ही पुलिस होगी और एक ही अदालत होगी। यह पुलिस और यह अदालतें किसी भी व्यापारी को “विदेशी” मानकर नहीं चलेंगे। उसको “अपने वतन का व्यापारी” मानकर बर्ताव करेंगे। इसकी वजह से जहां एक तरफ व्यापारियों का व्यापार फैलेगा, वहीं दूसरी तरफ सभी देशों में खरीदारी करने वालों को अपेक्षाकृत बेहतर क्वालिटी का सामान कम कीमतों पर मिल जाएगा।
दक्षिण एशियाई वतन की सरकार में पंजीकृत व्यापारियों को टैक्स भी केवल दक्षिण एशियाई सरकार को देना होगा। इसलिए टैक्स प्रणाली भी सरल होगी और उसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश न के बराबर होगी। एकीकृत टैक्स प्रणाली के कारण व्यापारियों को रिश्वत के दलदल में नहीं फंसना पड़ेगा। व्यापारीगण जो टैक्स दक्षिण एशियाई वतन की सरकार को देंगे उस टैक्स का अधिकांश हिस्सा पड़ोसी गांवों के समूह यानी न्याय पंचायतों को सीधे उनके खाते में जमा किया जाना है। इससे सभी गांवों का विकास होगा। जहां सड़कें नहीं हैं, वहां सड़कें हो जाएंगी। सड़कों के मरम्मत के लिए और उनके रखरखाव के लिए, साफ सफाई के लिए उनके अगल-बगल नालियां बनाने के लिए और उनके नियमित रखरखाव के लिए अखंड भारत की सरकार से नियमित पैसा पंहुंचता रहेगा। इसकी वजह से अखंड भारत के समर्थन में दक्षिण एशिया के सभी देशों के गांव गांव से मसालें जलेंगी।
दक्षिण एशिया की एक करेंसी नोट सोने में सुहागा का काम करेगी। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए डॉलर की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपनी ही नोट से काम चल जाएगा। बीच में कमीशन खोरी बंद हो जाएगी। दक्षिण एशिया के किसी भी देश में जाओ एक ही नोट दिखाई पड़ेगी। इससे पर्यटन व्यापार भी बहुत तेजी से फैलेगा। बाजार का आकार कितना बड़ा होता है व्यापारी की आमदनी उतने ही अधिक होती है। दक्षिण एशियाई बाजार बनने के बाद बाजार का आकार बहुत बड़ा हो जाएगा और व्यापारियों की आमदनी भी उसी अनुपात में बढ़ जाएगी। एक नोट होने से लेन देन बहुत सुविधाजनक हो जाएगा। करेंसी जिस हद तक स्वयं शोषण का जरिया है उस हद तक शोषण से प्राप्त धन डॉलर की तलाश में अब अमेरिका नहीं जाएगा। दक्षिण एशियाई वतन की बाजार एक मजबूत बाजार बन जाएगी जैसे-जैसे इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि आएगी उसी अनुपात में वतन के करेंसी नोट की ताकत बढ़ती जाएगी। वह समय दूर नहीं होगा जब विश्व में दक्षिण एशिया एक शक्ति का केंद्र बनकर उभरेगा।

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