इतिहास अपने आप को दोहराता हुआ इंसान को महसूस जरूर होता है। लेकिन इतिहास खुद को दोहराता नहीं है। इसीलिए अखंड भारत का यह अर्थ कदापि नहीं होना चाहिए कि भारत पाकिस्तान बांग्लादेश की सीमा समाप्त हो जाएं और यह तीनों देश फिर से मिलकर एक देश बन जाएं। अखंड भारत का अर्थ यह है कि सभी देशों की अपनी-अपनी संसद सरकार और अदालतें रहते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सभी देशों का एक यूनियन बन जाना, एक संसद बन जाना, एक सरकार बन जाना, एक सेना वह एक अदालत बन जाना, एक करेंसी नोट बन जाना… आदि आदि। क्योंकि इतिहास में कई बार यह क्षेत्र एक शासन तंत्र के अंतर्गत रहा है और इनकी एक सांस्कृतिक विरासत है और जिन अर्थों में भारत एक राष्ट्र है। उन अर्थों में पूरा दक्षिण एशियाई परिक्षेत्र भी एक राष्ट्र है। यदि इस राष्ट्र को पुनर्मान्यता मिलती है तो जहां एक तरफ हमारी सांस्कृतिक धरोहर पुनर्जीवित होगी वहीं दूसरी तरफ यह क्षेत्र समृद्धशाली क्षेत्र बन जाएगा और संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा का केंद्र बन जाएगा। अतः अखंड भारत का लाभ केवल भारत के लोगों को ही नहीं आने वाले दिनों में अपितु संपूर्ण विश्व को मिलेगा।
हिंदू मुसलमान एक दूसरे की केवल अच्छाइयां देखेंगे
भारत में विभाजन के बाद से लगातार संप्रदायिक संघर्ष देखने को मिला है। हालांकि इस संघर्ष के ऊपर संप्रदायिक समरसता हमेशा से भारी रही है। किंतु समय-समय पर हिंदू मुसलमान दंगों से भारत घायल होता रहा है। जब लोगों के बीच यह प्रश्न जाता है कि हिंदुओं व मुसलमानों जब एक जगह रहना ही था और दोनों एक जगह रह सकते हैं और पहले से रहते रहे हैं तो फिर धर्म के आधार पर विभाजन की जरूरत ही क्या थी? अगर यह जरूरत नहीं थी या यह एक गलत कार्य हुआ था तो इस गलत कार्य को सही करने के लिए विलंब क्यों होना चाहिए? अगर यह उल्टा काम हुआ था, तो इसको सीधा करने में देरी क्यों?
अखंड भारत की दिशा में किया गया हर कार्य लोगों के मन में मौजूद इसी प्रश्न का उत्तर देता है। यह प्रश्न भारत में रहने वाले हर हिंदू का है और हर मुसलमान का है। यदि उल्टे काम को सीधा करने की शुरुआत हो जाती है गलत काम को फिर से सही करने की शुरुआत हो जाती है तो इसमें हिंदू भी हाथ बंटाएगा और मुसलमान भी। जब एक ही कार्य को हिंदू और मुसलमान मिलकर करेंगे तो निश्चित रूप से धर्म के आधार पर संप्रदायिक दंगों की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाएगी और भारत को सांप्रदायिक दंगों का घाव बार-बार नहीं सहना पड़ेगा। जो धार्मिक समरसता कायम करने के तमाम प्रयास विफल हो गए वह संप्रदायिक समरसता अखंड भारत की दिशा में कार्य शुरू होते ही तुरंत कायम हो जाएगी। अब हिंदू मुसलमानों की अच्छाइयों को देखना शुरु कर देगा और मुसलमान हिंदुओं की अच्छाइयों को देखना शुरु कर देगा। दोनों एक दूसरों की बुराइयों के तरफ गटर सर्वे करने से खुद को अलग कर लेंगे क्योंकि अब उन्हें गटर सर्वे की जरूरत ही महसूस नहीं होगी।
जब पति पत्नी को घर में एक साथ रहना ही है तो दोनों एक दूसरे की बुराइयों को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं लेकिन अगर उनको तलाक लेना हो तो फिर एक दूसरे की केवल बुराइयों को देखते हैं अच्छाइयों को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं। विभाजन के बाद हिंदू मुसलमानों की केवल बुराइयों को देखने लगा और इसी प्रकार मुसलमान हिंदुओं की केवल बुराइयों को देखने लगा। इसलिए विभाजन के बाद भारत को सांप्रदायिक दंगों के त्रासदी बार-बार झेलनी पड़ी। किंतु अब जब अखंड भारत का अभियान शुरू होगा तब दोनों के मन में यह बात बस जाएगी कि हमें तो साथ साथ रहना ही है। जब साथ साथ रहना ही है तो बुराइयां देखने से क्या फायदा? अच्छाइयां देखो, सुकून से जियो और सुकून से जीने दो। मुसलमान हिंदुओं की सभ्यता और संस्कृति मैं हिंदुओं को चुभने वाली बातें प्रसारित करना बंद कर देंगे। इसी प्रकार हिंदू लोग मुसलमानों को चुभने वाली बातों का प्रचार बंद कर देंगे। जब दोनों एक दूसरे को चुभने वाली बातों का प्रचार बंद कर देंगे, जब दोनों एक दूसरे को चिढ़ाने वाली बातें का प्रचार बंद कर देंगे तो दोनों में उसी तरह दोस्ती हो जाएगी जैसे शैव, वैष्णव, रामाश्रय कृष्णाश्रय, तंत्र, हिंदू धर्म के अपने तमाम संप्रदाय आपस में इस तरह घुल मिल गए हैं कि जिनको आज अलग अलग पहचानना भी मुश्किल है।