नागरिकता के संबंध में सैद्धांतिक और व्यवहारिक- दो तरह के विवाद बहुत दिनों से बने हुए हैं। सैद्धांतिक विवाद यह है कि क्या जन्म के आधार पर किसी एक देश की नागरिकता किसी व्यक्ति को मिलना उचित है? अगर जन्म के आधार पर देश की नागरिकता मिलना उचित है तो उसे केवल उस प्रदेश की ही नागरिकता क्यों नहीं मिलनी चाहिए जिस प्रदेश में जन्मा? चूंकि व्यक्ति धरती के किसी 6 स्क्वायर फुट की जमीन पर ही पैदा होता है, इसलिए पूरे देश की नागरिकता क्यों मिलनी चाहिए? केवल उसी प्रदेश या उसी जिले की नागरिकता क्यों न मिले, जिस प्रदेश से या जिस जिले में पैदा हुआ? यह प्रश्न और आगे बढ़ कर वहां भी पहुंचता है कि पूरे जिले की नागरिकता क्यों मिले? वह जिस गांव या जिस मोहल्ले में वह पैदा हुआ उसी गांव की नागरिकता या उसी मोहल्ले की नागरिकता क्यों न मिले? अगर भौगोलिक आधार पर ही नागरिकता मिलनी है और भूखंड ही नागरिकता का आधार है, तब तो पूरे गांव की नागरिकता भी कुछ ज्यादा ही है और सत्य से परे है। वह जिस जगह पैदा हुआ उसी जगह की नागरिकता ही क्यों न मिले। ज्यादा से ज्यादा 1000-2000 स्क्वायर फुट की नागरिकता ही मिलनी चाहिए….।
अब इसके विपरीत विचार करें। अगर किसी व्यक्ति को केवल 1000 या 2000 वर्ग फुट की जगह की ही नागरिकता मिले, जहां वह पैदा हुआ। तो यह बात बड़ी मजाकिया और पागलपन जैसी बात है। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर उसे बड़े क्षेत्र की नागरिकता दी जाए तो कम पागलपन वाली बात होगी। यानी अगर गांव की नागरिकता मिले तो पागलपन वाली बात कम होगी। अगर पागलपन को वोल्टेज में नापा जाए तो यह कहा जाएगा कि 1000 या 2000 स्क्वायर फुट की नागरिकता देना 100 वोल्ट का पागलपन है। लेकिन व्यक्ति जहां पैदा होता है उस गांव या उस मोहल्ले के नागरिक करा देना 90 वोल्ट का पागलपन होगा। अगर पूरे जिले या पूरे प्रदेश की नागरिकता दी जाए तो यह समझिये कि वह 80 या 70 वोल्ट का पागलपन होगा। अगर पूरे देश की नागरिकता दी जाए, तो यह 60 वोल्ट का पागलपन होगा। यदि पड़ोसी देशों की भी नागरिकता व्यक्ति को जन्म लेते ही मिल जाए, तो यह समझ लेना चाहिए कि यह भी पागलपन है, लेकिन 50 वोल्ट का पागलपन है। इसी तरह और आगे बढ़े और आसपास के सभी देशों के ब्लॉक की नागरिकता मिल जाए तो पागलपन 40 वोल्टेज का होगा। यदि संपूर्ण विश्व की नागरिकता मिल जाए तो समझ जाइए पागलपन शून्य वोल्ट का होगा।
आज किसी व्यक्ति को जन्म लेते ही देश की नागरिकता दे दी जाती है। यानी मापदंडों के अनुसार यह कार्य और ऐसे कानून 60 बोल्ट के पागलपन हैं। 60 वोल्ट के पागलपन से तो अच्छा है कि पागलपन 50 वोल्ट का ही हो। यानी जन्म लेते ही व्यक्ति को अपने देश की नागरिकता तो मिले ही पड़ोसी देशों की नागरिकता भी मिल जाए। यानी संपूर्ण वतन की नागरिकता मिल जाए। इस प्रकार नागरिकता का दायरा बढ़ाते बढ़ाते विश्व तक ले जाना चाहिए। जब पागलपन शून्य हो जाए