अखंड भारत के अभियान को दक्षिण एशिया के सभी देशों के व्यापारियों का संपूर्ण समर्थन प्राप्त होगा। इसका प्रमुख कारण यह है कि दक्षिण एशियाई देशों के व्यापार और सांस्कृतिक प्रोत्साहन के लिए पहले से दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन नाम का संगठन काम कर रहा है, जिसको “सार्क” कहा जाता है। सार्क की मौजूदगी के बावजूद भी दक्षिण एशियाई देशों में व्यापार करने की तमाम बाधाएं मौजूद है। क्योंकि सभी देशों में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। एक देश की सामान दूसरे देश में खरीदने और बेचने में भी लोग संकोच करते हैं।
बहुत बार ऐसा भी होता है कि व्यापारियों का पैसा किसी एक देश में जाकर फंस जाता है जिसको निकालने के लिए अदालती प्रक्रिया बहुत खर्चीली, बहुत लंबी और बहुत मुश्किल है। पैसा फंस जाने के बाद व्यापारी के सामने बहुत मुश्किल आ जाती है। प्रायः ऐसा होता है कि उसने जितना मुनाफा साल भर में अपने व्यापार से कमाया था, वह सारा का सारा किसी एक देश में बेईमानी का शिकार हो जाता है। व्यापारी को न्याय नहीं मिल पाता।
इन समस्याओं के कारण प्राय: सभी देश के व्यापारी सार्क की मौजूदगी के बाद भी कोशिश यही करते हैं कि वह अपने देश के अंदर ही व्यापार करें। कुछ बड़ी कंपनियां चलाने वाले व्यापारी जो दूसरे देशों में व्यापार करने की हिम्मत जुटाते हैं वह उक्त तरीके से फंसने वाली अपनी पूंजी को बिक्री की जाने वाली सामान की कीमत में ही जोड़ देते हैं। जिसके कारण उनकी सामान दूसरे देशों में कृत्रिम रूप से महंगी हो जाती है। जहां इससे एक तरफ व्यापारी का नुकसान होता है क्योंकि जितनी सामान बिकनी चाहिए थी, महंगी होने के कारण उतनी सामान बिक नहीं पाती। कम बिक्री होने से व्यापारी को लाभ भी कम हो जाता है। दूसरी तरफ इससे नुकसान खरीदारी करने वालों का होता है। जो सामान ₹100 में मिलनी चाहिए थी अब उनको वही सामान 125 या ₹150 में मिलती है। इससे व्यापारी और जनता दोनों का नुकसान होता है।