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राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को गुलाम बनाकर रखना गलत

विशेष संवाददाता उदालगुड़ी, 12 नवंबर– विदेश में सस्ता सामान बेचने और निर्यात बढ़ाने के लिए देश का वोटर अब आर्थिक गुलामी नहीं सहेगा। दूसरे देशों में अपने देश का सामान कम से कम पैसे में बेचने के लिए देश में जान – बूझकर किसानों और मजदूरों को पैसे की तंगी में रखना मौजूदा राज व्यवस्था द्वारा किया जा रहा घोर अत्याचार है। इसलिए वर्तमान समय में नेता नहीं, व्यवस्था बदली जानी चाहिए। यह बात वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के संस्थापक और नीति निर्देशक भरत गांधी ने उदालगुड़ी की एक जनसभा में कहीं। यह जनसभा वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल की जिला कमेटी ने आयोजित की थी। श्री गांधी ने कहा कि निर्यात के लिए जान – बूझकर 90 % लोगों को पैसे की तंगी में रखा गया है। इस अंतर्राष्ट्रीय अत्याचार के खिलाफ आगामी 17 नवंबर को रंगिया में एक लाख से ज्यादा लोगों का प्रदर्शन होगा, जो दक्षिण एशियाई वतन बनाने की मांग करेंगे। श्री गांधी ने कहा कि राष्ट्रवाद की सोच अब खतरनाक साबित हो चुकी है, इसलिए इस सोच को यूरोप में छोड़ दिया और समृद्ध हो गया। अब दक्षिण एशियाई देशों को भी नकली राष्ट्रवाद की सोच से आगे बढ़ जाना चाहिए और साथ ही संयुक्त प्रतिरक्षा प्रणाली अपनाकर अपने- अपने देश में बनाकर रखी गई कृत्रिम गरीबी को खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई वतन की एक सरकार बन जाए तो हर वोटर को 6000 नहीं 10000 रुपए की रकम वोटरशिप कानून से मिल सकती है। पार्टी की अखिल भारतीय कमेटी के अध्यक्ष बीए पासवान ने कहा कि आजादी नापने का तरीका पैसा है। यह कहना गलत है कि अंग्रेजों के जाने के बाद देश आजाद हो गया। लेकिन अगर देश आजाद हो गया होता तो आज देश में गरीबी नहीं होती। सच्चाई यह है कि जब तक वोटरशिप की रकम देश के एक – एक वोटर तक नहीं पहुंचाई जाती, तब तक देश गुलाम रहेगा और यह लोकतंत्र एक फर्जी लोकतंत्र बना रहेगा।